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सोमवार, 3 अक्तूबर 2022

विविध पंथों मतों द्वारा पाखण्ड विवाद, वेदों की चोरी, ज्ञान का लोप व अज्ञान का प्रसार -डॉ श्याम गुप्त

कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


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विविध पंथों मतों द्वारा पाखण्ड विवाद, वेदों की चोरी, ज्ञान का लोप व अज्ञान का प्रसार -डॉ श्याम गुप्त
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कल एक #ब्रह्माकुमारी वाले सज्जन परिवार घर आये और बड़ी देर तक प्रेरित करते रहे कि शिव बाबा आपको सतयुग में ले जायेंगे, त्रिदेव को चलाने वाले शिव बाबा हैं | ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़ जाएँ, ७ दिन का ध्यान का कोर्स करलें, गीता श्रीकृष्ण ने नहीं शिव बाबा ने लिखी है, तमाम बातें गीता में गलत लिखी हैं| शास्त्रों में ३३ करोड देवताओं की बात कपोल कल्पित है आदि आदि | कुछ उठने बैठने की सामान्य अच्छी अच्छी बातें जो सभी कहते हैं भी कहते रहे |
मैं सोचने लगा–तुलसी बाबा ने अपनी रामायण में लिखा है ....
हरित भूमि तृण संकुल समुझ परहि नहिं पंथ,
जिमी पाखण्ड विवाद ते, लुप्त होयँ सदग्रंथ |
---अर्थात जब उपजाऊ भूमि पर तमाम तृणसमूह, घास,फूस, पात, पत्तियां उग आती हैं तो रास्ते की पगादंदियाँ भी दिखाई नहीं देतीं जैसे विभिन्न पाखंडो से भरे शास्त्र विरुद्ध समूहों के समाज में उत्पन्न होने से सदग्रंथ---वेद आदि ज्ञान, बुद्धि, विद्या क्रियाएं लुप्त होजाती हैं | यही आज हो रहा है |
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आज कितने पंथ, समूह, वर्ग धार्मिक क्रियाओं के नाम पर उत्पन्न होगये हैं जो शास्त्रों के विरुद्ध प्रचार में लिप्त हैं | घर घर में योगा, सहज योग, अपोनोपोनो, ध्यान, स्वामी, कथावाचक, ईश्वरीय विश्व विद्यालय, इस्कोन, आशाराम बापू, श्री श्री आदि पाखण्ड उत्पन्न होगये हैं जो सनातन धर्म एकांगी तत्त्व के प्रचार अथवा दुष्प्रचार में लिप्त हैं| असंतुष्ट व अतृप्त लोगों को कुछ अच्छी अच्छी बातें व सब्ज बाग़ दिखाकर भटकाते हैं | पुराकाल में जैन व बौद्ध धर्मों ने भी पाखण्ड किया था |
ब्रह्माकुमारी संगठन तो बाकायदा शास्त्रों व गीता का विरोध करता है और बाबा शिव को ईश्वर से ऊपर बताता है | यह सफ़ेद कपड़ों वाला पंथ शायद ईसाइयत का एक नया रूप है सनातन के विरुद्ध नया षड्यंत्र | ये सब सामान्य जन को कुछ अच्छी अच्छी संवेदनापूर्ण बातें एवं व्यक्तिगत परामर्श व सहायता से भ्रमित करते हैं और जन समूह एवं जिनको अपने धर्म व सनातन हिन्दू धर्म के बारे में अधिक ज्ञान नहीं होता उन्हें को कुछ समझ नहीं आता, वे ईश्वर, ज्ञान, विद्या को भूलकर बाबाओं के गुण गान में लग जाते हैं |
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सनातन वैदिक धर्म, वेद, पुराणो शास्त्रों ( अर्थात ज्ञान, विद्या, बुद्धि, तर्क सम्मत व्यवहार ) के विरुद्ध सदा से ही, हर युग में विभिन्न विरोधी पंथ सम्प्रदाय,मत, मज़हब उत्पन्न होते आये हैं जिनके विवाद व पाखण्ड के कारण जनता भ्रमित होती है एवं ज्ञान, विद्या व शिक्षाएं, धर्म आदि कालानुसार लुप्त होजाते हैं, पृथ्वी पर पाप और अधर्म का राज्य होजाता है और फिर –‘यदा यदा हि धर्मस्य...’ के अनुसार उनकी पुनर्स्थापना की जाती है |
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#सतयुग में वेदों को चुराने की घटनाएँ हैं | सतयुग में हयग्रीव नामक असुर द्वारा वेदों को चुराकर सागर में छुपादिया( अर्थात ज्ञान का लोप किया गया ) और मत्स्य रूप में विष्णु भगवान ने उसे मारकर वेदों को पुनः देवताओं को सौंपा, अर्थात समाज में ज्ञान की प्रतिष्ठा की गयी |
जब पणिसमूह द्वारा महर्षि वशिष्ठ की गायें ( ज्ञान, बुद्ध, विद्या, वेद) चुराकर अंधेरी गुफाओं( अज्ञान रूपी अंधकार ) में छुपा दीं तब इंद्र की सहायता से गायों को ढूंढा गया | ज्ञान की प्रतिष्ठापना की गयी|
राजा #रामचंद्र के काल में जब जाबालि ऋषि का शिष्य शम्बूक वेदो के विरुद्ध व नास्तिकता का प्रचार करता था तो अज्ञान फ़ैलाने के कारण राजा राम ने उसे समूल उच्छेद कर दिया था | महाभारत में भी #चार्वाकों को इसी कारण युधिष्ठिर द्वारा दण्डित किया गया था|
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आज भी यही स्थिति है | ये जगह जगह पर उगे हुए जाने कितने पंथ, मज़हब, वर्ग, बाबा लोग समाज को कहाँ लेजारहे हैं, सभी जानते हैं | आज जो अनाचार, दुराचार, विकृतियाँ पनप रहीं हैं उनका कारण यही शास्त्र विरोधी कृत्य हैं|
------- मुस्लिम और ईसाइयत जैसे हिन्दू विरोधी धर्मों के कृत्य इसीलिये वृद्धि पर हैं कि सनातन धर्म को ये पाखण्ड खोखला कर रहे हैं| इन्ही परिस्थितियों के लिए गोस्वामी जी ने लिखा था ---
हरित भूमि तृण संकुल समुझ परहि नहिं पंथ,
जिमी पाखण्ड विवाद ते, लुप्त होयँ सदग्रंथ |

गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

                                                   
सहजीवन ---मानवता विकास व संबंधों का आधार --डा श्याम गुप्त --
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वरिष्ठ नागरिक संस्था, सेकिंड इनिंग , आशियाना, लखनऊ की पत्रिका 'सक्षम' में प्रकाशित आलेख ---





कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित

शनिवार, 4 जुलाई 2020

डा श्याम गुप्त अभिनन्दन समारोह , अमृत कलश एवं तीन कृतियों का लोकार्पण ---कुछ झलकियाँ --सुषमा गुप्ता का संबोधन

                                    कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


डा श्याम गुप्त अभिनन्दन समारोह , अमृत कलश एवं तीन कृतियों का लोकार्पण २२-२ -२०२०...-----कुछ झलकियाँ --सुषमा गुप्ता का संबोधन
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अमृत कलश लोकार्पण के अवसर पर दिया गया वक्तव्य---सुषमा गुप्ता
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पेशे से चिकित्सक सर्जन डा. श्यामगुप्त जहां अपने मित्रों,कालिज व मैडीकल कालिज के सहपाठियों में ‘श्यामबाबू’ के नाम से जाने जाते हैं तथा चिकित्सा के कार्यक्षेत्र में वे ‘डा. एस बी गुप्ता’के नाम से प्रसिद्ध हैं वहीं साहित्य के क्षेत्र में वे ‘डा.श्याम गुप्त’ के नाम से सुपरिचित हैं |
हमारा विवाह तो एक सर्जन से हुआ था परन्तु बाद में ज्ञात हुआ कि ये कवि भी हैं | उनका प्रथम पत्र भी कविता में ही था | फिर, टूर पर, घूमने जाने पर, कहीं भी कागज़ कलम व कैमरा साथ ही रहता था | घर की घटनाओं, बच्चों, प्रत्येक बिंदु व विषय पर कविता लिखी व सुनाई जाती रही | रेलवे की सेवा में देश भर में विभिन्न स्थानों रहे और सभी जगह कविता-कहानी लिखने व सुनाने का क्रम चलता रहा जो रेल-पत्रिकाओं, भारतीय रेल अधिकारी महिला संगठन की पत्रिकाओं आदि में प्रकाशित होती रहीं | सं २००४ में बेटी दीपिका व पुत्र निर्विकार के आग्रह पर प्रथम कृति काव्यदूत का प्रकाशन हुआ जो हमको समर्पित थी | सेवानिवृत्ति के बाद तो वे पूर्ण रूप से साहित्य को समर्पित हैं| उनका मानना है की साहित्य ही समाज को उचित दिशा दे सकता है | हिन्दी में एम ए तो हम हैं परन्तु डा श्याम गुप्त हिन्दी के भी डाक्टर बन गए हैं | वे अक्सर कहते हैं-
तन की और मन की चिकित्सा तो हमने बहुत की श्याम,
आरजू है देश समाज की सेहत को सुधारा जाए |
साहित्यिक अभिरुचि युक्त कोमल व उदारमना, विनम्र, सीधे साधे, स्वयं में मस्त , कम मिलने-जुलने वाले डा.श्यामगुप्त स्वयं में ही एक काव्य संस्था प्रतीत होते हैं | यूं भी साहित्य जगत में वे विद्रोही कवि साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं | वे एक स्पष्ट वक्ता, कठोर समीक्षक व आलोचक के रूप में भी सुप्रसिद्ध / कुप्रसिद्ध हैं, वहीं असज्जनों के लिए कठोर व कठोर नियम पालक भी हैं | उनके लिए किसी ने कहा भी था-----
- कितने सीधे श्याम जी, यथा जलेबी रूप |
डा. श्याम गुप्त एक विद्रोही कवि हैं | लीक से हटकर चलते हैं | नए नए प्रयोगों में विश्वास रखते हैं| हिन्दी में केवल कठोर छंदीय अनुशासन एवं ग़ज़ल में बहर बहर की बात करने वालों से वे कहते हैं –
‘यदि चाहते हैं दिल से निकले गीत-ग़ज़ल,
तो उसे नियमों की अति से न लादा जाए |’
उनके साहित्य के बारे में तो आप सब साहित्यकार-ज्ञानी जन ही कहेंगे | मूल में उनके साहित्य में नैतिकता, सदाचरण,स्त्री-विमर्श, प्रेम. संसार, धर्म, अध्यात्म, दर्शन का व्यवहारिक रूप रहता है | उनकी सभी कृतियों व रचनाओं की विषय वस्तु सामान्य धरातल –संसार-व्यवहार से प्रारम्भ होकर दर्शन व अध्यात्म के उच्च धरातल तक पहुँचती है | वे साहित्य में सत्यं शिवम सुन्दरम के पोषक हैं, उनका कथन है --
कविता वह है जो रहे सुन्दर सरल सुबोध,
जन मानस को कर सके, हर्षित, प्रखर, प्रबोध |
हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में हर विधा में विविध विषयक लगभग १५ पुस्तकें लिखने के बाद भी वे तमाम पुस्तकें लिखने में लगे हुए हैं | हिन्दी के लिए प्रतिवद्ध डा श्याम गुप्त चिकित्सा महाविद्यालय के समय से ही वे अपने हस्ताक्षर हिन्दी में कर रहे हैं, चिकित्सा विद्यालय एवं भारतीय रेल सेवा में भी यथा संभव हिन्दी में कार्य करने हेतु तत्पर रहते थे |
डा श्याम गुप्त चिकित्सा व विज्ञान विषयों पर अंग्रेज़ी में आलेखों के अलावा अंग्रेज़ी व ब्रजभाषा में साहित्यिक आलेख व कविता भी लिखते हैं | चित्रकारी व फोटोग्राफी का भी उन्हें शौक है | अपनी सभी कृतियों के कवर-पृष्ठ आपने स्वयं ही चित्रित किये हैं|
उनकी हीरक जयन्ती अवसर पर मैं उन्हें बधाई देती हूँ | साथ ही नवसृजन व अगीत संस्था को जिन्होंने ग्रन्थ का प्रकाशन एवं इस समारोह को आयोजित किया उन्हें भी बधाई देती हूँ |
सुषमा गुप्ता
एम् ए (हिन्दी), ब्रजभाषा विभूषण





गुरुवार, 2 जुलाई 2020

डा श्याम गुप्त अभिनन्दन समारोह , अमृत कलश एवं तीन कृतियों का लोकार्पण २२-२ -२०२०...-मीडिया में

                                          कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


डा श्याम गुप्त अभिनन्दन समारोह , अमृत कलश एवं तीन कृतियों का लोकार्पण २२-२ -२०२०...-मीडिया में










डा श्याम गुप्त अभिनन्दन समारोह , अमृत कलश एवं तीन कृतियों का लोकार्पण २२-२ -२०२०...---अमृत कलश सम्मान - समारोह --कुछ झलकियाँ --

                                        कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित

डा श्याम गुप्त अभिनन्दन समारोह , अमृत कलश एवं तीन कृतियों का लोकार्पण २२-२ -२०२०...---अमृत कलश सम्मान - समारोह --कुछ झलकियाँ --















डा श्याम गुप्त अभिनन्दन समारोह , अमृत कलश एवं तीन कृतियों का लोकार्पण २२-२ -२०२०...-कुछ झलकियाँ

                                            कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


डा श्याम गुप्त अभिनन्दन समारोह , अमृत कलश एवं तीन कृतियों का लोकार्पण २२-२ -२०२०...-कुछ झलकियाँ ---