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सोमवार, 4 नवंबर 2013

" कुछ शायरी की बात होजाए"...से नज्म-२२ - खुदा का नाम पाया है ... डा श्याम गुप्त

                                   

                                      कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित

            " कुछ शायरी की बात होजाए"...से  नज्म-२२  -  खुदा का नाम पाया है ... 

                                   
                                

                                    

                              
                                 मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से  ग़ज़ल, नज्में , रुबाइयां, कते, शेर  आदि  इस ब्लॉग पर प्रकाशित किये जायंगे ......प्रस्तुत है......कुछ नज्में... नज़्म- २२ ....

खुदा का नाम पाया है ...

न तुम ही तुम हो दुनिया में,
न हम ही हम हैं इस जगमें |
हमीं हैं इसलिए तुम हो,
हो तुम भी इसलिए हम हैं |

खुदा ने ये खलक सारा,
बनाया है बसाया है |
खुदा है इसलिए हम हैं,
खुदा है निसलिये तुम हो |

रहें मिलकर के हम तुम सब,
खुदा की ऐसी मरजी थी |
खुदा तुम में भी  हम में भी,
खुदा सब में समाया है |

न मंदिर में न मस्जिद में,
न गिरिजा घर खुदा का है |
खुदा को खुद में ही ढूंढें ,
खुदा हम में नुमांया है |

खुदी को श्याम तू करले,
बुलंद इतना , खुदा कहदे |
मेरी सारी खुदाई ही,
मांगले आज तू मुझसे |

खुदी है आईना तेरा ,
उसी में खुदा बसता है |
खुदा ने इसलिए ही तो ,
खुदा का नाम पाया है ||

                                   क्रमश : ......नज्में  .....