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रविवार, 24 फ़रवरी 2013

श्याम स्मृति...... सिद्धांत , विश्वास एवं नियम...तथा नायक-पूजा ( हीरो वर्शिप )...डा श्याम गुप्त

                                      कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


                          ..प्रायः यह कहा जाता है कि भारतीय -जनमानस  धार्मिक व दार्शनिक विचार-तत्वों पर नायक-पूजा में , उनके पीछे चलने में अधिक विश्वास रखते हैं| इसीलिये भारतीय तेजी से प्रगति नहीं कर पारहे हैं |  प्रायः पारंपरिक ज्ञान व शिक्षा में विश्वास न रखने वाले अधुना-विद्वान् भी यह कहते पाए गए हैं कि हमें कुछ ऐसा तरीका, तंत्र या शैली विक्सित करना चाहिए जो सिद्धांतों, विश्वासों एवं नियमों पर आधारित नहीं हो |
                          इस के परिप्रेक्ष्य में फिर यह भी कहा जा सकता है कि तो फिर किसी को  इन विद्वानों के कथन पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए | वस्तुतः जब तक हमारे अंतर में  पहले से ही मौजूद पारंपरिक ज्ञान, विश्वास, विचारों व सिद्धांतों के प्रति  श्रृद्धा व विश्वास नहीं होते एवं  हम उनको पूर्णरूपेण एवं गहराई से जानने एवं समझने योग्य नहीं होपाते | तो हम उन्हें उचित यथातथ्य रूप से विश्लेषित करके वर्त्तमान देश-कालानुसार एवं अपने स्वयं के विचारों और नवीन प्रगतिशील विचारों के अनुरूप नहीं  बना सकते ; जो संस्कृति व सभ्यता की प्रगति हेतु आवश्यक होता है ....
                                   "जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ|
                                    हों बौरी  डूबन  डरी,  रही किनारे  बैठ  |"
अतः क्या आवश्यक है ......
१. स्वयं अपने ही विचारों पर चलकर अति-तीब्रता से प्रगति हेतु अनजान -अज्ञानान्धकार में प्रवेश करके पुनः पुनः हिट एंड ट्रायल के आधार पर चलें .....अथवा ..
२. पहले से ही उपस्थित अनुभवी, ज्ञानी पुरखों के सही  व उचित धार्मिक व सांस्कृतिक ज्ञान के मार्ग पर..(. जो समय से परिपक्व एवं इतने समय से जीवन संघर्ष में बने हुए होने से स्वयं-सिद्ध हैं).... शनैः-शनैः स्थिर  परन्तु उचित गति से प्रगति के पथ पर चलना ..
                                                                 हमें सोचना होगा.....