कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
" कुछ शायरी की बात होजाए"...से नज्म-२२ - खुदा का नाम पाया है ...
मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से ग़ज़ल, नज्में , रुबाइयां, कते, शेर आदि इस ब्लॉग पर प्रकाशित किये जायंगे ......प्रस्तुत है......कुछ नज्में... नज़्म- २२ ....
खुदा का नाम पाया है ...
न तुम ही तुम हो दुनिया में,न हम ही हम हैं इस जगमें |
हमीं हैं इसलिए तुम हो,
हो तुम भी इसलिए हम हैं |
खुदा ने ये खलक सारा,
बनाया है बसाया है |
खुदा है इसलिए हम हैं,
खुदा है निसलिये तुम हो |
रहें मिलकर के हम तुम सब,
खुदा की ऐसी मरजी थी |
खुदा तुम में भी हम में भी,
खुदा सब में समाया है |
न मंदिर में न मस्जिद में,
न गिरिजा घर खुदा का है |
खुदा को खुद में ही ढूंढें ,
खुदा हम में नुमांया है |
खुदी को श्याम तू करले,
बुलंद इतना , खुदा कहदे |
मेरी सारी खुदाई ही,
मांगले आज तू मुझसे |
खुदी है आईना तेरा ,
उसी में खुदा बसता है |
खुदा ने इसलिए ही तो ,
खुदा का नाम पाया है ||
क्रमश : ......नज्में .....