कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
राष्ट्र की सोचें --- वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः---
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-- भोजन -, सोना, मैथुन ..स्व-रक्षा -तो पशु भी कर लेते हैं , केवल इसी में रत रहना पशु वृत्ति है ----
-------मानव हैं, जागृत...विज्ञजन हैं ----तो देश -राष्ट्र , समाज-संस्कृति की बात सोचें -
-------मानव हैं, जागृत...विज्ञजन हैं ----तो देश -राष्ट्र , समाज-संस्कृति की बात सोचें -