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गुरुवार, 18 जुलाई 2019

किस्से राज-दरबार के --- किस्सा एक--- महिला चिकित्सकों की ड्यूटी -- डा श्याम गुप्त

                                 कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


किस्से राज-दरबार के ---
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राजा का दरवारी या सरकारी अधिकारी का कार्य काँटों की बगिया में चलना होता है | उस पर पंचमुखी दबाव होते हैं -ऊपर के –अधिकारियों व शासन के ,उपभोक्ता या कर्मचारियों की अपेक्षाओं के, कर्मचारी यूनियनों के, सहयोगियों की चालों के एवं स्थानीय अराजक तत्वों के |
--------इसमें यदि पारदर्शिता, स्पष्ट-दृष्टि, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, लाभ-हानि की सोच व कुछ प्राप्ति की आशा के बिना कार्य, नियमों व अपने विषय का स्पष्ट ज्ञान, संभाषण-योग्यता, न कहने की कला एवं कागज़ कार्य, लिखा-पढी में कहीं भी न फंसने की योग्यता है तो आप ‘परम स्वतंत्र न सिर पर कोऊ ‘..की भांति कार्य सम्पादन कर सकते है |
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१. किस्सा एक---
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महिला चिकित्सकों की ड्यूटी --
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बात उस समय की है जब मैं प्रशासनिक सेकण्ड इन कमांड था | मुझे ही चिकित्सकों की इमरजेंसी व अन्य ड्यूटियां लगानी होती थीं | होस्पीटल की चीफ एक महिला चिकित्सक थीं जो स्वयं स्त्री चिकित्सा विशेषज्ञ थीं |
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मैं सदैव ही नारी स्वातन्त्र्य का पक्षधर हूँ | मेरे उपन्यास, कथाएं, व काव्य-रचनाएँ आदि भी इस विषय पर हैं,
-------परन्तु ‘अति सर्वत्र वर्ज्ययेत’ का पक्षधर मैं महिलाओं के अति-सुरक्षा भाव एवं महिला होने का लाभ उठाने के भाव को उनके वास्तविक उत्थान व प्रगति की राह में रोड़ा समझता हूँ |
-------यदि महिलायें वेतन व अधिकारों में समानता चाहती हैं तो कार्यों में छूट क्यों चाहती हैं, विशिष्ट तथ्यों व स्थितियों को छोड़कर |
------अतः मैं महिला चिकित्सकों की भी इमरजेंसी ड्यूटी, नाईट ड्यूटी व बाहर काल ड्यूटी आदि लगाने के पक्ष में था |
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प्रायः महिला चिकित्सक इस प्रकार की ड्यूटियाँ करने में परहेज़ करती थीं, विशेषकर रात्रि ड्यूटी | मुझसे पहले उन्हें इस बात का लाभ दिया जाता रहा था |
------पुरुष चिकित्सक प्रायः इस पर एतराज़ भी किया करते थे | क्योंकि चीफ एक महिला थीं, सभी महिला चिकित्सकों ने प्रतिवेदन किया कि हमें इन ड्यूटियों से मुक्त रखा जाय और उन्होंने सहज भाव से स्वीकार भी कर लिया |
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दूसरे दिन मैंने चीफ को एक पत्र लिखा
---- यदि हमारी महिला-चिकित्सक इस प्रकार की ड्यूटियों एवं अन्य सामान्य प्रशासनिक कार्यों से बचती रहेंगीं तो उन्हें विभिन्न अनुभव कैसे प्राप्त होंगे,
-----वे कार्य-स्थितियां व विशिष्ट परिस्थियों से सामना करने लायक अनुभव कैसे प्राप्त करेंगीं एवं भविष्य की इन्दिरा गांधी व अन्य महान महिलाओं के समान प्रत्येक परिस्थिति से जूझने के योग्य कैसे बनेंगीं |
-------कल उन्हें भी उच्च-प्रशासनिक अधिकारी बनना है | वे स्वयं आपके जैसी कुशल व योग्य, स्वतंत्र, स्पष्ट व उचित सटीक निर्णय लेने वाली अफसर, अस्पताल प्रमुख व प्रशासनिक अधिकारी कैसे बनेंगीं |
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अगले दिन ही चीफ ने सबके सम्मुख मुझे बधाई देते हुए कहा, आपका पत्र मुझे अत्यंत ही अच्छा लगा, सुन्दर, सटीक, उचित तर्क व तथ्यपूर्ण | मैंने उसे अपने व्यक्तिगत रिकार्ड में रख लिया है | आप सभी की ड्यूटी समान रूप से लगायें |