डा श्याम गुप्त की ग़ज़ल.....
दीप खुशियों के जलें एसे ।
पुष्प दामन में खिलें जैसे।
खूब रोशनी हो जीवन में,
सफलताएं सब मिलें जैसे।
आशा और उत्साह से पूरित ,
जीवन राह में चलें जैसे।
उमंगें व उल्लास के पौधे,
उर्वरा भूमि में फलें जैसे।
मुस्कुराइए जला कर दीये,
हम सामने हों खड़े जैसे।
खुश होलेना कि तरन्नुम में,
श्याम की ग़ज़ल सुनलें जैसे ॥
पुष्प दामन में खिलें जैसे।
खूब रोशनी हो जीवन में,
सफलताएं सब मिलें जैसे।
आशा और उत्साह से पूरित ,
जीवन राह में चलें जैसे।
उमंगें व उल्लास के पौधे,
उर्वरा भूमि में फलें जैसे।
मुस्कुराइए जला कर दीये,
हम सामने हों खड़े जैसे।
खुश होलेना कि तरन्नुम में,
श्याम की ग़ज़ल सुनलें जैसे ॥
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