कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से ग़ज़ल, नज्में , रुबाइयां, कते, शेर आदि इस ब्लॉग पर प्रकाशित किये जायंगे ......प्रस्तुत है......कुछ नज्में... नज़्म ६....
अब न हम उठ पायंगे उनकी महफ़िल से ,
बुलाया जब उसी ने हसरते दिल से |
जायंगे उठकर भी तो जाएँ कहाँ ,
उनके जैसा संगेदिल होगा कहाँ |
उनके इस इज़हार की इकरार की ,
यादों का कैसे भला भूलें जहां |
हम जहां से भी नहीं उठ पायंगे ,
सामने उनको नहीं जो पायंगे |
उस जहां में मिलने का वादा जो हो,
दो जहां की ज़िंदगी पा जायंगे |
यूं न खेलें वो हमारे टूटे दिल दे,
फिर भला कैसे निकल पायेंगे दिल से ||
अब न कोई डोर यूं उम्मीद की ,
हमने बांधी उनसे उनकी प्रीति की|
चाह है इस दर पे निकले जब ये दम ,
बात हो इक हार की इक जीत की |
वो जनाज़े पर मेरे न आयंगे ,
लोग कुछ यह देखकर मुस्कायंगे |
किन्तु पढ़ने फातिहा अक्सर मेरी-
कब्र पर छुपाते-छुपाते आयंगे |
भूल पाए क्यों नहीं हम उनको दिल से,
वो सदा पूछा करेंगे अपने दिल से ||
" कुछ शायरी की बात होजाए"...से नज्म-६- उनकी महफ़िल से........
मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से ग़ज़ल, नज्में , रुबाइयां, कते, शेर आदि इस ब्लॉग पर प्रकाशित किये जायंगे ......प्रस्तुत है......कुछ नज्में... नज़्म ६....
उनकी महफ़िल से.
अब न हम उठ पायंगे उनकी महफ़िल से ,
बुलाया जब उसी ने हसरते दिल से |
जायंगे उठकर भी तो जाएँ कहाँ ,
उनके जैसा संगेदिल होगा कहाँ |
उनके इस इज़हार की इकरार की ,
यादों का कैसे भला भूलें जहां |
हम जहां से भी नहीं उठ पायंगे ,
सामने उनको नहीं जो पायंगे |
उस जहां में मिलने का वादा जो हो,
दो जहां की ज़िंदगी पा जायंगे |
यूं न खेलें वो हमारे टूटे दिल दे,
फिर भला कैसे निकल पायेंगे दिल से ||
अब न कोई डोर यूं उम्मीद की ,
हमने बांधी उनसे उनकी प्रीति की|
चाह है इस दर पे निकले जब ये दम ,
बात हो इक हार की इक जीत की |
वो जनाज़े पर मेरे न आयंगे ,
लोग कुछ यह देखकर मुस्कायंगे |
किन्तु पढ़ने फातिहा अक्सर मेरी-
कब्र पर छुपाते-छुपाते आयंगे |
भूल पाए क्यों नहीं हम उनको दिल से,
वो सदा पूछा करेंगे अपने दिल से ||