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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

पुकारा नहीं ....ग़ज़ल---- डा श्याम गुप्त ....

                                           कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


पुकारा नहीं ....ग़ज़ल----

हम भला क्या कहते ,
तुमने ही पुकारा नहीं |

दर्दे-दिल रहे सहते,
तुमने ही पुकारा नहीं |

टूटते रहे पर दिया,
तुमने ही सहारा नहीं |

तेरी वफ़ा का किया,
हमने ही नज़ारा नहीं |

तूफां में कश्ती को मिला,
साहिल का सहारा नहीं |

और भी गम हैं, सिर्फ-
दिल ही बेचारा नहीं |

अब भी निकल लो श्याम ,
मिलेगा फिर किनारा नहीं |

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