कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
पुकारा नहीं ....ग़ज़ल----
हम भला क्या कहते ,
तुमने ही पुकारा नहीं |
पुकारा नहीं ....ग़ज़ल----
हम भला क्या कहते ,
तुमने ही पुकारा नहीं |
दर्दे-दिल रहे सहते,
तुमने ही पुकारा नहीं |
टूटते रहे पर दिया,
तुमने ही सहारा नहीं |
तेरी वफ़ा का किया,
हमने ही नज़ारा नहीं |
तूफां में कश्ती को मिला,
साहिल का सहारा नहीं |
और भी गम हैं, सिर्फ-
दिल ही बेचारा नहीं |
अब भी निकल लो श्याम ,
मिलेगा फिर किनारा नहीं |
तुमने ही पुकारा नहीं |
टूटते रहे पर दिया,
तुमने ही सहारा नहीं |
तेरी वफ़ा का किया,
हमने ही नज़ारा नहीं |
तूफां में कश्ती को मिला,
साहिल का सहारा नहीं |
और भी गम हैं, सिर्फ-
दिल ही बेचारा नहीं |
अब भी निकल लो श्याम ,
मिलेगा फिर किनारा नहीं |
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