कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
मुहब्बत के सिवा....
कहते हैं शायर और भी गम हैं मुहब्बत के सिवा |
आप ही कहिये क्या रक्खा है मुहब्बत के सिवा |
मुहब्बत के सिवा....
कहते हैं शायर और भी गम हैं मुहब्बत के सिवा |
आप ही कहिये क्या रक्खा है मुहब्बत के सिवा |
हमने माना की मोहब्बत है इक काँटों की डगर,
किसने जाना है भला किससे, मुहब्बत के सिवा |
हमने लो मान लिया बेवफा है मुहब्बत भी खूब,ग़ज़ल----
बावफा और मिला कब है, मुहब्बत के सिवा |
जाने क्यों कहते हैं मुहब्बत को गम दुनिया वाले,
और जीने का सब़ब क्या है, मुहब्बत के सिवा |
इश्क वालों की जहां में यही खूबी है यारो,
जीते मरते हैं कब, किसपे, मुहब्बत के सिवा |
चलो माना कि हैं गम और भी ज़माने में, मगर,
इतना मीठा सा मिले कैसे, मुहब्बत के सिवा |
श्याम’ है इश्क में यही एक मुकम्मिल सा सवाल,
जियें तो किसपे, मरें किसपे, मुहब्बत के सिवा ||
किसने जाना है भला किससे, मुहब्बत के सिवा |
हमने लो मान लिया बेवफा है मुहब्बत भी खूब,ग़ज़ल----
बावफा और मिला कब है, मुहब्बत के सिवा |
जाने क्यों कहते हैं मुहब्बत को गम दुनिया वाले,
और जीने का सब़ब क्या है, मुहब्बत के सिवा |
इश्क वालों की जहां में यही खूबी है यारो,
जीते मरते हैं कब, किसपे, मुहब्बत के सिवा |
चलो माना कि हैं गम और भी ज़माने में, मगर,
इतना मीठा सा मिले कैसे, मुहब्बत के सिवा |
श्याम’ है इश्क में यही एक मुकम्मिल सा सवाल,
जियें तो किसपे, मरें किसपे, मुहब्बत के सिवा ||
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