saahityshyamसाहित्य श्याम

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सोमवार, 16 अगस्त 2010

डा श्याम गुप्त के पांच अगीत.....

      टोपी 
वे राष्ट्र गान गाकर
भीड़ को देश पर मर मिटने की,
कसम दिलाकर;
बैठ गए लक्सरी कार में जाकर ;
टोपी पकडाई पी ऐ को
अगले वर्ष के लिए -
रखे धुलाकर |

प्रश्न 
कितने शहीद ,
कब्र से उठकर पूछते हैं-
हम मरे किस देश के लिए ,
अल्लाह के, या-
ईश्वर के |

मेरा देश कहाँ 
यह अ जा का ,
यह अ ज जा का ,
यह अन्य पिछड़ों का ,
यह सवर्णों का ;
कहाँ है मेरा देश ?

बंधन 
वह बंधन में थी ,
संस्कृति संस्कार सुरुचि के
परिधान कन्धों पर धारकर  ;
अब वह मुक्त है ,
सहर्ष , कपडे उतारकर ||

  मस्त 
मस्त हैं सब -
अपने काम काज, या -
मनोरंजन में; और -
खड़े हैं हर मोड़ पर
दिशा हीन ||

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