कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
साहित्य साधक मंच, बेंगलूरू का सारस्वत समारोह
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अखिल भारतीय साहित्य साधक मंच, जेपी नगर बेंगलुरु के तत्वावधान में रविवार दिनांक ३० सितम्बर २०१८ को मंच का १३७ वां सारस्वत समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन जेपी नगर स्थित लायंस क्लब के सभागार में हुआ |
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समारोह की मुख्य अतिथि स्थानीय विजया बेंक की राजभाषा प्रबंधक श्रीमती पद्मा सुधा थी |
----- अध्यक्ष के रूप में लखनऊ के साहित्यकार-गीतकार डा श्यामगुप्त, विशेष अतिथि के रूप में बेंगलूरू के कन्नड़ कवि श्री चंद्रशेखर हड़पद, नागौर के कविवरमानिक तुलसी गौड़ एवं बेंगलूरू के शायर शकीब फैयाज मंच पर विराजमान थे | मंचस्थ अतिथियों का शाल व पुष्पगुच्छ देकर सम्मान किया गया |
------- समारोह का संचालन संस्था के अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद मर्मग्य द्वारा किया गया |
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समारोह के प्रथम चर्चा सत्र में श्रीमती उर्मिला श्रीवास्तव एवं श्रीमती मंजू व्यंकट ने प्रख्यात व्यंगकार पद्मश्री शरद जोशी व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की |
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द्वितीय काव्य गोष्ठी एवं मुशायरे के सत्र में हिन्दी, उर्दू व कन्नड़ भाषाओं की त्रिवेणी में सरस काव्य-धारा प्रवाहित हुई | जिसमें ४० कवियों व शायरों ने काव्य पाठ किया |
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श्रीमती पद्मा सुधा जी ने भाषाई एकता की दिशा में मंच दारा किये जारहे कार्यों की सराहना की |
------ डा श्यामगुप्त ने संक्षिप्त में अगीत विधा के बारे में भी बताते हुए, युवा ग़ज़लकारों की साहित्य में रूचि पर प्रसन्नता जाहिर की | उन्होंने शायरी में करुणा, रकीबी –वर्णन क्यों अधिक है के बारे में बताते हुए शायरी का मूल स्रोत ऋग्वेद एवं उसमें वर्णित पुरुरवा-उर्वशी के दुखांत प्रेमोपाख्यान व पुरुरवा के करूण-दुखांत गीतों से बताया जिससे अरब में रुवाइयां व तदुपरांत ग़ज़लों का प्रचलन हुआ |
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अखिल भारतीय साहित्य साधक मंच, जेपी नगर बेंगलुरु के तत्वावधान में रविवार दिनांक ३० सितम्बर २०१८ को मंच का १३७ वां सारस्वत समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन जेपी नगर स्थित लायंस क्लब के सभागार में हुआ |
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समारोह की मुख्य अतिथि स्थानीय विजया बेंक की राजभाषा प्रबंधक श्रीमती पद्मा सुधा थी |
----- अध्यक्ष के रूप में लखनऊ के साहित्यकार-गीतकार डा श्यामगुप्त, विशेष अतिथि के रूप में बेंगलूरू के कन्नड़ कवि श्री चंद्रशेखर हड़पद, नागौर के कविवरमानिक तुलसी गौड़ एवं बेंगलूरू के शायर शकीब फैयाज मंच पर विराजमान थे | मंचस्थ अतिथियों का शाल व पुष्पगुच्छ देकर सम्मान किया गया |
------- समारोह का संचालन संस्था के अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद मर्मग्य द्वारा किया गया |
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समारोह के प्रथम चर्चा सत्र में श्रीमती उर्मिला श्रीवास्तव एवं श्रीमती मंजू व्यंकट ने प्रख्यात व्यंगकार पद्मश्री शरद जोशी व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की |
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द्वितीय काव्य गोष्ठी एवं मुशायरे के सत्र में हिन्दी, उर्दू व कन्नड़ भाषाओं की त्रिवेणी में सरस काव्य-धारा प्रवाहित हुई | जिसमें ४० कवियों व शायरों ने काव्य पाठ किया |
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श्रीमती पद्मा सुधा जी ने भाषाई एकता की दिशा में मंच दारा किये जारहे कार्यों की सराहना की |
------ डा श्यामगुप्त ने संक्षिप्त में अगीत विधा के बारे में भी बताते हुए, युवा ग़ज़लकारों की साहित्य में रूचि पर प्रसन्नता जाहिर की | उन्होंने शायरी में करुणा, रकीबी –वर्णन क्यों अधिक है के बारे में बताते हुए शायरी का मूल स्रोत ऋग्वेद एवं उसमें वर्णित पुरुरवा-उर्वशी के दुखांत प्रेमोपाख्यान व पुरुरवा के करूण-दुखांत गीतों से बताया जिससे अरब में रुवाइयां व तदुपरांत ग़ज़लों का प्रचलन हुआ |
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