भाई बहन --व राखी ---
भाई और बहन का प्यार कैसे भूल जाएँ ,
बहन ही तो भाई का प्रथम सखा होती है।
भाई ही तो बहन का होता है प्रथम मित्र ,
बचपन की यादें कैसी मन को भिगोती हैं।
बहना दिलाती याद,ममता की,माँ की छवि,
भाई में बहन छवि,पिता की संजोती है।
बचपन महकता ही रहे सदा यूंही श्याम,
बहन को भाई उन्हें बहनें प्रिय होती हैं॥
भाई औ बहन का प्यार,दुनिया में बेमिसाल ,
यही प्यार बैरी को भी राखी भिजवाता है।
दूर देश बसे हों, परदेश या विदेश में हों,
भाइयों को यही प्यार खींच खींच लाता है।
एक एक धागे में बंधा असीम प्रेम बंधन,
राखी की त्यौहार 'रक्षाबंधन' बताता है।
निश्छल अमिट बंधन,'श्याम धरा-चाँद जैसा,
चाँद इसीलिये, चन्दा मामा कहलाता है।।
रंग बिरंगी सजी राखियाँ कलाइयों पै ,
देख -देख भाई , हरषाते इठलाते हैं ।
बहन है जो लाती मिठाई भरी प्रेम रस,
एक दूसरे को बड़े प्रेम से खिलाते हैं।
दूर देश बसे जिन्हें राखी मिली डाक से,
बहन की ही छवि देख देख मुस्काते हैं।
अमित अटूट बंधन है ये प्रेम रीति का,
सदा बना रहे 'श्याम' मन से मनाते हैं ||
बहन ही तो भाई का प्रथम सखा होती है।
भाई ही तो बहन का होता है प्रथम मित्र ,
बचपन की यादें कैसी मन को भिगोती हैं।
बहना दिलाती याद,ममता की,माँ की छवि,
भाई में बहन छवि,पिता की संजोती है।
बचपन महकता ही रहे सदा यूंही श्याम,
बहन को भाई उन्हें बहनें प्रिय होती हैं॥
भाई औ बहन का प्यार,दुनिया में बेमिसाल ,
यही प्यार बैरी को भी राखी भिजवाता है।
दूर देश बसे हों, परदेश या विदेश में हों,
भाइयों को यही प्यार खींच खींच लाता है।
एक एक धागे में बंधा असीम प्रेम बंधन,
राखी की त्यौहार 'रक्षाबंधन' बताता है।
निश्छल अमिट बंधन,'श्याम धरा-चाँद जैसा,
चाँद इसीलिये, चन्दा मामा कहलाता है।।
रंग बिरंगी सजी राखियाँ कलाइयों पै ,
देख -देख भाई , हरषाते इठलाते हैं ।
बहन है जो लाती मिठाई भरी प्रेम रस,
एक दूसरे को बड़े प्रेम से खिलाते हैं।
दूर देश बसे जिन्हें राखी मिली डाक से,
बहन की ही छवि देख देख मुस्काते हैं।
अमित अटूट बंधन है ये प्रेम रीति का,
सदा बना रहे 'श्याम' मन से मनाते हैं ||
1 टिप्पणी:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 29 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
एक टिप्पणी भेजें