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शनिवार, 15 जून 2013

" कुछ शायरी की बात होजाए"...से नज्म-६,,उनकी महफ़िल से ..... डा श्याम गुप्त .

                                          कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


        " कुछ शायरी की बात होजाए"...से  नज्म-६-     उनकी महफ़िल से........

                                      
                                

                                       

                                 
                                   मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से  ग़ज़ल, नज्में  , रुबाइयां, कते, शेर  आदि  इस ब्लॉग पर प्रकाशित किये जायंगे ......प्रस्तुत है......कुछ नज्में... नज़्म ६....

      उनकी महफ़िल से.


अब न हम उठ पायंगे उनकी महफ़िल से ,
बुलाया जब उसी ने हसरते दिल से |

जायंगे उठकर भी तो जाएँ कहाँ ,
उनके जैसा संगेदिल होगा कहाँ |
उनके इस इज़हार की इकरार की ,
यादों का कैसे भला भूलें जहां |

हम जहां से भी नहीं उठ पायंगे ,
सामने उनको नहीं जो पायंगे |
उस जहां में मिलने का वादा जो हो,
दो जहां की ज़िंदगी पा जायंगे |

यूं न खेलें वो हमारे टूटे दिल दे,
फिर भला कैसे निकल पायेंगे दिल से ||

अब न कोई  डोर यूं उम्मीद की ,
हमने बांधी उनसे उनकी प्रीति की|
चाह है इस दर पे निकले जब ये दम ,
बात हो इक हार की इक जीत की |

वो जनाज़े पर मेरे न आयंगे ,
लोग कुछ यह देखकर मुस्कायंगे |
किन्तु पढ़ने फातिहा अक्सर मेरी-
कब्र पर छुपाते-छुपाते आयंगे |

भूल पाए क्यों नहीं  हम उनको दिल से,
वो सदा पूछा करेंगे अपने दिल से ||





 

2 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

श्याम भाई आपके ब्लॉग पर आज नवीन चतुर्वेदी जी के ब्लॉग पर दी गयी आपकी टिप्पणी के माध्यम से पहुंचा और यहाँ आ कर आनंदित हो गया . आपकी साहित्य के प्रति रूचि प्रशंशनीय है। आपकी जब शायरी की किताब प्रकाशित हो तो मुझे जरूर सूचित कीजियेगा . मैं अपने ब्लॉग पर ग़ज़लों की किताबों पर चर्चा (समीक्षा नहीं) किया करता हूँ . समय मिले तो ब्लॉग पर आ कर अनुग्रहित कीजियेगा .

नीरज
http://ngoswami.blogspot.com

डा श्याम गुप्त ने कहा…

धन्यवाद नीरज जी....अवश्य ..

-- वो आये तो हमारे यहाँ
आये हों चाहे जिस बहाने