कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
डा श्याम गुप्त के प्रेम व शृंगार गीत संग्रह--तुम तुम और तुम ,,,के गीत ---
मेरे गीत तुम्हारा वंदन-----
इन गीतों को मुखरित करदो ....
मेरे गीत तुम्हारा वंदन इन गीतों को मुखरित करदो |
निज उष्मित अधरों के स्वर दे इन गीतों में मधु रस भरदो |
ह्रदय-पत्र पर चले लेखनी पायल के स्वर की मसि भरदो |
---इन गीतों को मुखरित करदो ||
मेरे गीत तुम्हारे मन के स्वर की मधुर कल्पनाएँ हैं|
तेरे मृदुल गात की अनुपम सुकृत सुघर अल्पनायें हैं |
इन गीतों में प्रीति रंग भर इन्द्रधनुष प्रिय विम्बित करदो |
----इन गीतों में मधु रस भरदो ||
इन गीतों में प्रियतम तेरी बांकी चितवन मृदू मुस्कानें |
मादक यौवन की झिलमिल है देह-यष्टि की सुरभित तानें |
खिलती कलियों के सौरभ की खिल खिल खिल मुस्कानें भरदो |
----- इन गीतों को मुखरित करदो ||
इन गीतों में विरह-मिलन के विविध रंग रूपक उपमाएं |
पल पल रंग बदलते जीवन-जग की विविध व्यंजनायें |
मधुर रागिनी सुरभित साँसों की दे इनमें जीवन भरदो |
---इन गीतों में जीवन भरदो||
मेरे गीत तुम्हारी ही तो स्वर सरगम के अनुयायी हैं |
तेरी पगध्वनि, नूपुर रुनझुन अनहद नाद के अध्यायी हैं |
स्वस्ति वचन, मुकुलित स्वर देकर इन गीतों में अमृत भरदो |
---इन गीतों में अमृत भरदो|
---इन गीतों को मुखारोत करदो ||
----क्रमश --आगे..
डा श्याम गुप्त के प्रेम व शृंगार गीत संग्रह--तुम तुम और तुम ,,,के गीत ---
मेरे गीत तुम्हारा वंदन-----
इन गीतों को मुखरित करदो ....
मेरे गीत तुम्हारा वंदन इन गीतों को मुखरित करदो |
निज उष्मित अधरों के स्वर दे इन गीतों में मधु रस भरदो |
ह्रदय-पत्र पर चले लेखनी पायल के स्वर की मसि भरदो |
---इन गीतों को मुखरित करदो ||
मेरे गीत तुम्हारे मन के स्वर की मधुर कल्पनाएँ हैं|
तेरे मृदुल गात की अनुपम सुकृत सुघर अल्पनायें हैं |
इन गीतों में प्रीति रंग भर इन्द्रधनुष प्रिय विम्बित करदो |
----इन गीतों में मधु रस भरदो ||
इन गीतों में प्रियतम तेरी बांकी चितवन मृदू मुस्कानें |
मादक यौवन की झिलमिल है देह-यष्टि की सुरभित तानें |
खिलती कलियों के सौरभ की खिल खिल खिल मुस्कानें भरदो |
----- इन गीतों को मुखरित करदो ||
इन गीतों में विरह-मिलन के विविध रंग रूपक उपमाएं |
पल पल रंग बदलते जीवन-जग की विविध व्यंजनायें |
मधुर रागिनी सुरभित साँसों की दे इनमें जीवन भरदो |
---इन गीतों में जीवन भरदो||
मेरे गीत तुम्हारी ही तो स्वर सरगम के अनुयायी हैं |
तेरी पगध्वनि, नूपुर रुनझुन अनहद नाद के अध्यायी हैं |
स्वस्ति वचन, मुकुलित स्वर देकर इन गीतों में अमृत भरदो |
---इन गीतों में अमृत भरदो|
---इन गीतों को मुखारोत करदो ||
----क्रमश --आगे..
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