saahityshyamसाहित्य श्याम

यह ब्लॉग खोजें

Powered By Blogger

रविवार, 5 अगस्त 2018

गीत लवों पर खिल आता है.....डा श्याम गुप्त

कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित

                                                      चूल्हे चौके की खटपट में,




गीत लवों पर खिल आता है.....


चूल्हे चौके की खटपट में,
समय भला कब मिल पाता है |
सब्जी कढ़ी दाल अदहन में,
गीत भला कब बन पाता है ||

तवा कडाही कलछा चिमटा,
के स्वर की रागिनी सजे नित |
दूध चाय पानी के स्वर में ,
कब संगीत उभर पाता है ||

पर मन में संगीत बसा हो,
सब कुछ संभव हो जाता है |
गुन गुन में मन-मीत बसा हो,
तो मन गीत सजा पाता है ||

चूल्हे चौके की खटरस में,
ताल बंद लय मिल जाते हैं |
थाली बेलन चकले के स्वर,
सुर और  राग बता जाते हैं ||

दाल, झोल, अदहन के स्वर भी ,
नादअनाहत बन जाएँगे |
मन में प्रिय रागिनी बसी हो,
गीत स्वयं ही सज जायेंगे ||

गर्मा गर्म रसोई की जब,
उठती भीनी गंध सुहानी|
लगती सुन्दर काव्यभाव सी,
बन जाती इक कथा-कहानी ||

मेरे  गीतों  में जीवन की -
खुशियों की थिरकन होती है |
इन गीतों में जन जन मन के,
ह्रदय की धड़कन होती है ||

चूल्हे चौके की खट पट में,
समय कहाँ फिर मिल पाता है |
मन में प्रिय रागिनी बसी हो,
गीत लवों पर खिल आता है ||





 

कोई टिप्पणी नहीं: