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बुधवार, 19 दिसंबर 2018

पीर ज़माने की (ग़ज़ल संग्रह ) --- क्रमश आगे----४ -मध्य पृष्ठ , समर्पण व आभार, ग़ज़ल क्रम, पश्च पृष्ठ----डा श्याम गुप्त

                                  कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


पीर ज़माने की (ग़ज़ल संग्रह ) --- क्रमश आगे----
------मध्य पृष्ठ ....समर्पण व आभार ....ग़ज़ल क्रम -----पश्च पृष्ठ----
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मध्य पृष्ठ----
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पीर ज़माने की (ग़ज़ल संग्रह )
प्रकाशक— सुषमा प्रकाशन, आशियाना, लखनऊ
प्रथम संस्करण----२०१८ई.
मूल्य – १००/- रु.
सर्वाधिकार—लेखकाधीन
रचयिता--- डा श्यामगुप्त,
सुश्यानिदी, के-३४८, आशियाना कोलोनी, लखनऊ-२२६०१२
मो-९४१५१५६४६, फ़ो.०५२२-२४२५४७५
ईमेल – drgupta04@gmail.com
मुखपृष्ठ –डा श्यामगुप्त
प्रकाशक व मुद्रक--- नमन प्रकाशन , लखनऊ
मो-९४१५०९४९५०
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Peer Zamane ki (Gazal collection )
Writer--- Dr Shyam Gupta
Sushyanidi, k-348, Ashiyana , Lucknow-226012 UP(India)
Mo.9415156464, Ph.0522-2425475
Email-drgupta04 @gmail.com –
Blog-https//shyamthot.blogspot.com
Published by—sushama prakashan, Ashiyana, lucknow
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समर्पण व आभार
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समर्पण
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अनय, अनाचार, अत्याचार, अन्याय व शोषण से
पीड़ित जन-मन को
एवं
इसके विरोध में स्वर उठाने वालों को
आभार
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उन समस्त शब्द, भाव, अर्थ, विषय भावों, विचारों व कल्पनाओं का जो माँ वाग्देवी, वाणी, सरस्वती की कृपा से मानस में अवतरित होकर समय समय पर स्याही बने कलम के माध्यम से कागज़ पर उतरते रहे |
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ग़ज़ल क्रम -पीर ज़माने की---ग़ज़ल संग्रह..
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१.पीर ज़माने की
२.दलदल
३.होली है
४.रिश्ते निभाने
५.गुनगुनाये आदमी
६.दीवाने
७.हक़ है
८.बुरी आदत है
९.अंदाज़े बयाँ श्याम का (मतला बगैर ग़ज़ल )
१०.खुश ( कोइ सबको ..)
११.उलझे (त्रिपदा अगीत ग़ज़ल)
१२.नूर खुदा का (कोइ जख्मे दिल..)
१३.प्रेम प्याला पीते रहो
१४.कुछ नहीं सीखा
१५.वो ग़ज़ल होती है (शेर मतले का .)..
१६.ईमान लाये ( कुछ उसे मिलता नहीं )
१७.इंसान ही इंसान की सुनता नहीं
१८.शेर मतले का न हो (तू गाता चल ऐ यार..)..
१९.जो तू बोता है (मिलता वही ...)
२०.अपना ईश्वर आप स्वयं...
२१.क्यों गुनगुनाता हूँ
२२.सिरफिरे हैं लोग
२३. सुन्दर जहां ये न्यारा
२४.कविता कामिनी
२५. चेते नहीं
२६.प्रभु को ढूँढने
२७.दर्द न होता
२८.मुझे न छेड़ो
२९.ख्वाहिशें और सफलता
३०.टूटते आईने सा (आतंक की फसल )
३१.कुछ हटके सोचिये
३२.जाने कहाँ गए
३३.आँख का पानी
३४.वो गुल कहाँ गए
३५. जीवन राह
३६.तटबंध होना चाहिए (साहित्य सत्यं ..)
३७. मन में द्वंद्व भरे क्या होगा
३८. तू वही है
३९. जिन्दगी देदी
४०. दोस्त
४१.फुर्सत किसे है यार
४२. आज आदमी
४३.बदल गए
४४. पुरस्कार की हसरत
४५. घना छाया धुंआ लगता है
४६.कैसी बरजोरी है ( होरी)
४७.अंदाज़े बयाँ ज़िंदगी का (घुट घुट के ..)
४८. नियम
४९. यहीं है यहीं है ..
५०. पीछे आयेंगे
५१.गज़लोपनिषद ..
५२. देश हमारा
५३. था खुदा सा कोई
५४. जश्न मनाता चल
५५. वो अपने आप देता है
५६. ये अच्छी बात नहीं
५७.ग़ज़ल ज्ञान
५८. मत वल्लाह जाइए
५९.लिख लिख लिख
६०. ठेंगे से
६१. कोइ तो मामिला होगा
६२. माँ की याद आई सुबह सुबह
६३. सुकवि की अदा (जिधर देखता हूँ )
६४. जवाँ दिल होगये
६५. क्यों होते हैं गम ज़माने में
६६. लिखी जाने लगी है ग़ज़ल
६७. गंगा प्रदूषण---
६८. दीप जलें
६९.वीरों के गीत फिर सुना..
७०. नयी ग़ज़ल (साड़ी-दुपट्टे का )
७१.आस्था
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पीर ज़माने की -----पश्च पृष्ठ---
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खड़ीबोली हिन्दी, ब्रजभाषा व अंग्रेज़ी में रचनारत, लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार, कवि, लेखक, कथाकार, उपन्यासकार, समीक्षक, चिन्तक, विचारक तथा ‘सृष्टि’ एवं ‘प्रेमकाव्य’ जैसे वैज्ञानिक, वैदिक तथा दार्शनिक महाकाव्य, पौराणिक व महिला-सशक्तिकरण पर ‘शूर्पणखा’ काव्य-उपन्यास व ‘इन्द्रधनुष’ उपन्यास, ‘अगीत साहित्य दर्पण’ जैसे शास्त्रीय लक्षण ग्रन्थ, एवं ब्रजभाषा में ‘ब्रज-बांसुरी’ काव्य और उर्दू काव्य-कला पर ‘कुछ शायरी की बात होजाए’ तथा मानव आचरण पर वैदिक दृष्टियुत कृति “ईशोपनिषद का काव्य-भावानुवाद’ एवं ‘तुम तुम और तुम’ श्रृंगार व प्रेमगीत तथा अपने स्व-विचारों आधारित लघु निबंधों युत ‘श्याम-स्मृति’ जैसी कृतियों के रचयिता हिन्दी साहित्यविभूषण, साहित्याचार्य महाकवि डा श्यामगुप्त द्वारा रचित प्रस्तुत कृति ‘पीर ज़माने की’ उनकी नवीन ग़ज़लों का संग्रह है जिसमें ग़ज़ल के रोचक विस्तृत इतिहास के साथ समाज, मानवता, आचरण आदि से सम्बंधित सामाजिक सरोकार युत विभिन्न विषय-बिन्दुओं पर विविध भाव व शैली युत गज़लें प्रस्तुत की गयी हैं |
----- प्रकाशक
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---------क्रमश --आगे-----गज़लें ---क्रमिक प्रस्तुतीकरण----१ से ७१ तक --
----प्रार्थना व ..ग़ज़ल १. पीर ज़माने की....

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