३०.रिश्ता सारमेय सुत का...
कालू कुत्ते
ने
झबरीली
कुतिया
का
गेट
खटखटाया
और
बोला,-'भौं .s.s.भौं ऊँ
भुक
-अरे
कोई
है।
'
झबरीली
ने
गेट
की
सलाखों
के
नीचे
से
झांका
और
गुर्राई, 'भूं ऊँ
ऊँ
भौं, कौन
है
?'
‘ भूं s भुक’ , मैं
कालू
।
‘ ओ s sभूं
अक’ , क्या
है, क्यों
आये
हो?
‘ रिश्ता लाया
हूँ, कालू
बोला, मेरी
बेटी
शरवती
की
आपके
झबरू
बेटे
के
साथ
जोड़ी अच्छी
रहेगी।
क्या
ख्याल
है।
झबरू
भी
शरबती
के
आगे
पीछे
घूमता
रहता
है।‘
झबरीली इन्जीनियेर
शर्मा
साहब
की
कोठी
में
रहने
वाली
बड़े
बड़े
बालों
वाली
सफ़ेद अच्छी
नस्ल
की
कुतिया
थी। इठला
कर
गुर्राई,'भूं
.s.s.भौं
s sऔं
भूट, ‘ तो इससे
क्या, कालू
कहीं
का।
चल
हट, मेरा
बेटा
कोठी
में
पला-बढ़ा, साहबों की
सोहबत
में
है, तू
फटेहाल
झौंपडी
में
रहने
वाला
कुत्ता!
तेरी
क्या
मजाल
। बड़ा
आया।
तेरे
पास
क्या
है
देने
को? क्या
दहेज़
देगा? कल
ही
नीलू कुतिया
अपनी मिंकी
बेटी का
रिश्ता
लाई
थी। शगुन पर ही चांदी का पट्टा देने की बात
कर
रही
थी |’
भौं
s s अंग.. भट, ‘ दो हड्डियां
है
मेरे
पास, दावत
के
लिए, झोंपड़ी
के
पीछे
दबा कर
रखी
हैं
।
पर ये दहेज़ क्या होता है? कालू
असमंजस
में
पड़कर
बोला।‘
भूं
.s.s..s भू...अक:, ‘ अरे
तभी
तो।
तुम
गली
के
छोटे
लोग
हो, बड़े
घरों
की
बातें
कहाँ
जानते
हो।
चल
हट, बड़ा
आया।‘
सोना, चांदी, कार, नकद
रुपया-पैसा
बातें सुनकर
इधर-उधर
के
कुछ
कुत्ते
भी
एकत्र
होगये
थे
।
पड़ोस
के
सिल्की
कुत्ते
ने
भों
भों
करके
बताया। ‘ अरे, ये
आदमियों
के चोंचले
हैं,
आदमी लोग बेटों की शादी में खूब माल काटते हैं। उसके
साथ ही बेटे
की
शादी
करते
हैं जो
अधिक
से
अधिक
दे
सके..।’
हाँ हाँ, 'उस
दिन
जब
में
कोठी
न.
सोलह
के
साहब
के
यहाँ
दावत
में
फैंकी
हुई मिठाई, पूड़ी, सब्जी
के
मज़े
ले रहा
था
तो
मैंने
भी
सुना
कि
साहब
को
खूब माल
व
इम्पोर्टेड
कार
मिली
है।
कोई
पच्चीस
लाख
की
शादी
थी
।' ब्राउनी कुत्ता
बोला।
'पर
जो
देते
हैं
वे
इतना
सारा
माल
लाते
कहाँ
से
होंगे।
'कालू ने पूछा।
'कुछ न. दो का चक्कर है। मैंने
कुछ
लोगों
को
यह
भी
कहते
सुना
था।', ब्राउनी
बोला।... यार!
ये
आदमी
भी
अजीब, वेवकूफ
जानवर
है, मिठाई, पूड़ी
आदि
खाना, आखिर
ये
लोग
फैंकते
ही
क्यों
हैं? क्या
मिलता
इन्हें
इसमें
।
'
'चलो हमारे लिए तो मज़े ही रहते हैं।'
'हाँ
सो
तो
है।
पर
हमारे
साथ
कुछ
दुबले-पतले
किस्म
के
इंसान
भी
तो
टूट
पड़ रहे
थे
उस
खाने
पर।
क्या
उन
लोगों
के
पास
इतना
खाना
नहीं
होता।' ब्राउनी बोला।
'पता
नहीं, ये
इंसान
भी
विचित्र
प्राणी
है।
कोई
खूब
खाना फैंकता
है, कोई
फैंके
हुए
को
उठाता
है।
इसमें
भी
उसका
कुछ
मतलब
ही
होगा। क्योंकि
मैंने
सुना
है
कि
आदमी
बड़ा
चतुर
जानवर
होता
है, कोई
काम
बिना
मतलब के
नहीं
करता।' सिल्की
ने
बताया। हो
सकता
है
कोठी
वाले
आदमी
लोग भी
किसी
के
पालतू
होते
होंगे, जैसे
झबरीली
कुतिया
और
ये
दुबले-पतले
इंसान हमारी
तरह
गली
झौंपडी
वाले
जानवर।' पप्पी पिल्ले
ने
अपना
दिमाग
लड़ाया
।
'हो..हो..हो, सब
हंसते
हुए
भोंके, ये आदमी की लाइफ भी हम कुत्तों जैसी ही है। ' पर
इनके
गले
में
पट्टा
तो
नहीं
दिखाई
देता।' ब्राउनी
हंसते
हुए
बोला।
'शायद इनको पालने वाला जानवर इनसे भी अधिक चतुर होता होगा। '
'भुक..भुक...भुक .s.s.और हम
कुत्ते
दहेज़
भी
तो
नहीं
माँगते,बेटियों
को
नहीं
जलाते।
इसमें तो
आदमियों
से
अच्छे
ही
हैं। अब
सोलह
न.
वाले
साहब
को
शादी
में
इतना
मिला फिर
भी
साल
भर
बाद
ही
बहू
को
जलाने
की
कोशिश
में
जेल
में
हैं।
' ब्राउनी
ने बताया।
'वो
तो
भला
हो
भूरा
का,' लंगडाकर धीरे
धीरे
आता
हुआ
चितकबरा कुत्ता
बोला,'जो
रात
में
भौंक
भौंक
कर
सारा
मोहल्ला
जगा
दिया, और बहू-बिटिया
बच
गयी। पड़ोस की पढी-लिखी सुमन दीदी, जो समाज-सेवा का काम करती है ; और वो जाने क्या होता है, नारी जागरण, के भाषण देती रहती है; अचानक
जाग
गयी
और
कुत्ता
क्यों
जाने
लगातार
भोंक
रहा
है, यह
देखने
दौड़ी
चली
आई।
वरना
ये
लोग
तो
महीनों
से
हरकत
कर
रहे
थे कोई आदमी बीच में पड़ने नहीं आया।
'
'कृष्णा..कृष्णा..एसा
नीच
कुकर्म, कमीना
कुत्ता
कहीं
का।
'
' भों.s..s.भौं
.sss.. क्यों
कुत्तों
को
गाली
दे
रहा
है।' सिल्की
गुर्राया।
'भूं...भूं..अक..सारी', कालू सकपका
कर
बोला, 'मेरा मतलब था आदमी कहीं का। ''अजीव है
ये
आदमी
भी', कालू सोचते
हुए
बोला, 'अपने भाई
बंधुओं
से
ही
दुश्मनी निकलता
है,अपनी
ही
बहू-बेटियों
को
बिकने, जलने, मरने
देता
है।
और
कहावत
बना रखी है,'क्यों कुत्तों की तरह लड़ते हो'; 'क्या
इनका
राजा
या
मुखिया
नहीं
होता,वो
कुछ
नहीं
कहता?'
राजा..s..s..s.चितकबरा सोचते
हुए
बोला,' आदमी लोग
स्वयं
अपने
राजा
होते
हैं,आज
कल
इनके
यहाँ
वो
न जाने
क्या
है...मन्त्र
या
तंत्र
व्यवस्था
; बड़ी
अजीब
सी
चीज
है।
ये
लोग स्वयं
को
वोट
जैसी
कुछ
चीज
देते
हैं
और
खुद
ही
राजा
बन
जाते
हैं।
कोई
भी राजा
बन
जाता
है।
न
कोई
पराक्रम
,न
विद्वता
मंडली
की
या
गुरु
मंडली
की
कोई सलाह
ली
जाती
है।
न
राजा
का
बेटा
ही
राजा
होता
है। भीड़ जिस तरफ होती है वही राजा बन जाता है। और कई बार तो साल में चार चार बार राजा बदल जाता है। कौन किसे मना करे, कौन किसे दंड दे। ‘
'ये
तो
अंधेर
नगरी
वाली बात
हुई।
पर
हम
क्यों
उनकी
हरकतों
को
अपना
रहे
हैं?' सिल्की बोला।
'अरे
भाई!
एक
मछली
सारे
तालाब
को
गंदा
करती
है। अपनी जाति या समाज के पतन के लिए स्वयं हमारे काम ही तो जिम्मेदार होते हैं। 'अब
देखलो
साहबों
के
यहाँ
रहने
के
कारण
ही
वो
झबरीली
को
घमंड
व
दहेज़ जैसी
बीमारी
लग
गयी
है।
मनुष्य
तो
कुत्तों
को
अपने
स्वार्थ
के
लिए
पालता है, गुलामी
कराने
को
और उनकी
गंदी
आदतें कुत्तों
में
आ
जाती
हैं। अगर
इसे
शीघ्र
ही
नहीं
रोका
गया
तो
देखा-देखी
अन्य
कुत्तों
में
भी
यह
बीमारी
फ़ैल
सकती
है।
' भूरा
बोला,' आदमी शायद सभी जानवरों से बुरा है। '
'झबरीली तो बुरी तरह से बिगड़ गयी है। बस आदमियों के पीछे पीछे घूमती रहती है। उन्हीं की तरह बात करने की कोशिश करती है। अपने को आदमी ही समझने लगी है। बिस्कुट का नाश्ता,दूध-रोटी का लंच-डिनर, आदमी के खाने की अच्छी अच्छी चीज़ों के स्वाद में लालच ने इसे पागल कर दिया है। साहब ने कोट भी बनवा दिया है,साहब बनी घूमती है और गुलामी का पट्टा व ज़ंजीर गले में बांधे अपनी शान समझती है। अच्छा खाना, पहनना, सोने के लालच में अपना कुत्तापन भी भूल गयी है। और बिगडैल आदमी की तरह बनती जारही है। कुत्तों से तो बात ही नहीं करती, नकचढी कहीं की। ' ब्राउनी कुत्ता बोला।
' राम...राम
..एसा दुष्कृत्य
और
नीचता
की
बात
कर
रही
है
ये
झबरीली।
कमीनी
आदमी
कहीं
की।‘ 'कालू
कुत्ता
जोर
से
गुर्राया।
' इससे
अच्छे
तो
हम
कुत्ते
ही
हैं, आदमी
तो कुत्तों
से
भी
गया
बीता
है। कान
पकडे
जो
अब
झबरीली
की
तरफ
पूंछ
भी
करूँ तो।
कराले
अपने
बेटे
की
शादी
आदमियों
में
ही।
'
'अरे
जब
कोई
इसकी
और मुंह
उठाके
देखेगा
ही
नहीं
तो
अपने
आप
झख
मारकर
कुत्तों
की
और
दौड़ेगी। आदमी
तो
इसके
काम
आयेगा
नहीं, जब
वह
अपने
आदमियों
का
ही
नहीं होता, अपने लोगों
को
ही
सताता
है, उन्हें जलने
मरने
देता
है
तो
कुत्तों
का क्या
होगा।
अगर
सभी
कुत्ते
एकजुट
होजाएं
और
इसका
बायकाट
करदें
अपने
आप
ही सातवें
आसमान
पर
चढ़ा
दिमाग
उतर
जायगा।
' मरियल
सा
झबरीला
कुत्ता
बोला, ' मैंने इसे
बहुत
समझाया था
पर
इसने
मुझे
ही
दौड़ाकर
कोठी
से
बाहर
निकलवा दिया।
'
अच्छा
भाई
कुत्तो! जय सारमेय, कालू
बोला,' आप सबका
बहुत
बहुत
धन्यवाद, जो
मुझे
पाप
में
पड़ने
से
बचा
लिया।
आप
सब
यहाँ
बायकाट
कराकर कुत्ता समाज सुधार संघर्ष में
रत
रहें, मैं
अन्य
कालोनियों
में
भी
इसका
बायकाट
कराऊंगा।
तभी
एसे
कुत्ते
लोग
ठीक
होंगे।
'
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