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गुरुवार, 10 अगस्त 2023

स्त्री-पुरुष विमर्श - विविध आलेख---डॉ.श्याम गुप्त की नवीन पुस्तक----ओन लाइन प्रकाशन --

कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित





डॉ. श्याम गुप्त आलेखमाला- श्रंखला -३ .

स्त्री-पुरुष  विमर्श  - विविध आलेख

प्रथम संस्करण---- अगस्त 2023 ई.

मूल्य – 100/-

सर्वाधिकारलेखकाधीन

रचयिता---   डॉ. श्यामगुप्त, एमबीबीएस, एमएस (सर्जरी) ,

                        हिंदी साहित्य विभूषण, साहित्याचार्य

  सुश्यानिदी, के-३४८, आशियाना कोलोनी, लखनऊ-२२६०१२ 

           मो-९४१५१५६४६,

           ईमेल – drgupta04@gmail.com

मुखपृष्ठ डॉ. श्यामगुप्त

प्रकाशक व मुद्रक-सुषमा प्रकाशन, आशियाना, लखनऊ -226012

 

 

 

 

Stri- Purush vimarsh—vividh alekh

Writer--- Dr Shyam Gupta

Sushyanidi, k-348, Ashiyana , Lucknow-226012 UP(India)

Mo.9415156464,

Email- drgupta04 @gmail.com

Blog-https//shyamthot.blogspot.com

Published by—Sushama prakashan , Ashiyana, lucknow –UP (India) -226012 .  

 

स्त्री -पुरुष विमर्श गाथा

                                          आलेख क्रम

 १.स्त्री -पुरुष विमर्श गाथा –एक एतिहासिक दृष्टि... 

२.आखिर हम जाना कहाँ चाहते हैं....

३.आधुनिकता और नारी उत्प्रीणन

४.  ब्रह्मरूप-पुरुष– उठो जागो बोध प्राप्त करो- इनसे कुछ नहीं होगा

५. कार्यरत पति-पत्नी और दाम्पत्य जीवन....   

.  क्या वास्तव में स्त्री, पुरुष सत्ता से आज़ाद होना चाहती है..

७.  नई सदी में नारी....

८. नर-नारी द्वंद्व व संतुलन, समस्यायें व कठिनाइयाँ..

९. पुनर्मूषकोभव

१०.पुरुषत्व स्त्रीत्व का प्राकृतिक-संतुलन तथा आज की स्थिति.....

११. पोलीगेमी या बहुविवाह प्रथा....

१२.  भारतीय राजनीति के आकाश में नारियों का योगदान

१३. भारतीय साहित्य में स्त्रीपुरुष के परस्पर व्यवहार का संतुलित रूप- ...

१४.महामानवों के निर्माण व सामाजिक श्रेष्ठता संवर्धन में नारी का योगदान 

१५.रस, काम, उद्दीपन एवं बलात्कार

१६.विवाह पूर्व यौन संबंध में स्त्री विवेक के साथ पुरुष विवेक भी आवश्यक है...

१७. विवाह व सहजीवन ...

१८.वैदिक युग में दाम्पत्य बंधन ....

१९. सहजीवन-- मानवता, विकास व संबंधों का आधार,सास बहू व परिजन...

२०. स्त्री -पुरुष सम्बंध पर विवेचना --- 

२१. स्त्री-पुरूष भेद भाव एवं अत्याचार, नैतिकता, बल और बलवान व समाज.

२२.स्त्री-पुरुष संबंधों , अंतर्संबंधों, प्रेम, अधिकार व कर्तव्यों की उचित व पुनर्व्याख्या है

        राधा, कृष्ण व गोपिकाओं की गाथा ....

२३.  हमें सोचना होगा....              

 

 

 


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