कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से ग़ज़ल, नज्में इस ब्लॉग पर प्रकाशित की जायंगी ......प्रस्तुत है....ग़ज़ल-१२ ...त्रिपदा -अगीत ग़ज़ल.....पागल दिल...
पागल दिल
क्यों पागल दिल हर पल उलझे ,
जाने क्यों किस जिद में उलझे ;
सुलझे कभी, कभी फिर उलझे।
तरह- तरह से समझा देखा ,
पर दिल है उलझा जाता है ;
क्यों ऐसे पागल से उलझे।
धडकन बढती जाती दिल की,
कहता बातें किस्म किस्म की ;
ज्यों काँटों में आँचल उलझे ।।
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