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सोमवार, 6 मई 2013

" कुछ शायरी की बात होजाए "....ग़ज़ल - ९..तू वही है .... डा श्याम गुप्त ....

                                           
                                         

                                 
                                                कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


             मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से  ग़ज़ल, नज्में  इस ब्लॉग पर प्रकाशित की जायंगी ......प्रस्तुत है....ग़ज़ल- ९ ...तू वही है ....


तू वही है 
तू वही है |

प्रश्न गहरा ,
तू कहीं है |

तू कहीं है, 
या नहीं है |

कौन कहता ,
तू नहीं है |

है भी तू,
है भी नहीं है |

जहाँ ढूंढो ,
तू वहीं है |

जो कहीं है ,
तू वहीं है |

वायु जल थल ,
सब कहीं है |

मैं जहां है,
तू नहीं है |

तू जहां है ,
मैं नहीं है |

प्रश्न का तो,
हल यही है |

तू ही तू है,
तू वही है |

मैं न मेरा,
सच यही है |

तत्व सारा,
बस यही है |

 मैं वही हूँ ,
तू वही है |

बसा हरसू ,
श्याम ही है |

श्याम ही है,
श्याम ही है ||









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