कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
प्रेम -- किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता, किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जा सकता; वह एक विहंगम भाव है | प्रस्तुत है-- दशम सुमनान्जलि- अध्यात्म ----इस सुमनांजलि में पांच रचनाएँ....तुच्छ बूँद सा जीवन, प्रभु ने जो यह जगत बनाया, अहं-ब्रह्मास्मि , ब्रह्म-प्राप्ति तथा परमानंद ...प्रस्तुत की जायंगी | प्रस्तुत है ....द्वितीय रचना...
प्रभु ने जो यह जगत बनाया
प्रभु ने जो यह जगत बनाया ,
सो प्रभु पूजन योग बनाया |
इसकी पूजा, प्रभु की पूजा ,
जग में प्रभु, प्रभु जगत समाया | ---प्रभु ने जो ....||
प्रभु को बंदे कहाँ खोजता,
जन -जन के मन बीच समाया |
जिसने प्रभु के जग को जाना,
सो प्रभु के मन मांहि समाना |
सब जग प्रभु की छाया-माया ,
सो प्रभु पूजन जोग बनाया | -----प्रभु ने जो यह....||
कर्म करे नर, फल की इच्छा -
छोड़े प्रभु पर, मान ले शिक्षा |
गीता, श्रुति, पुराण सब गाया ,
कर्म हेतु यह नर तन पाया |
कर्म हेतु प्रभु जगत बनाया ,
सो प्रभु पूजन जोग बनाया | ---- प्रभु ने जो यह.....|
प्रेम -- किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता, किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जा सकता; वह एक विहंगम भाव है | प्रस्तुत है-- दशम सुमनान्जलि- अध्यात्म ----इस सुमनांजलि में पांच रचनाएँ....तुच्छ बूँद सा जीवन, प्रभु ने जो यह जगत बनाया, अहं-ब्रह्मास्मि , ब्रह्म-प्राप्ति तथा परमानंद ...प्रस्तुत की जायंगी | प्रस्तुत है ....द्वितीय रचना...
प्रभु ने जो यह जगत बनाया
प्रभु ने जो यह जगत बनाया ,
सो प्रभु पूजन योग बनाया |
इसकी पूजा, प्रभु की पूजा ,
जग में प्रभु, प्रभु जगत समाया | ---प्रभु ने जो ....||
प्रभु को बंदे कहाँ खोजता,
जन -जन के मन बीच समाया |
जिसने प्रभु के जग को जाना,
सो प्रभु के मन मांहि समाना |
सब जग प्रभु की छाया-माया ,
सो प्रभु पूजन जोग बनाया | -----प्रभु ने जो यह....||
कर्म करे नर, फल की इच्छा -
छोड़े प्रभु पर, मान ले शिक्षा |
गीता, श्रुति, पुराण सब गाया ,
कर्म हेतु यह नर तन पाया |
कर्म हेतु प्रभु जगत बनाया ,
सो प्रभु पूजन जोग बनाया | ---- प्रभु ने जो यह.....|
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना....
भावभीनी रचना......................
अनु
धन्यवाद अनु जी...
धन्यवाद एक्सप्रेशन जी आपके सुन्दर एक्सप्रेशन हेतु....
http://allexpression.blogspot.in/2012/06/blog-post_15.html
एक नज़र इधर भी...
सादर
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