कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से ग़ज़ल, नज्में इस ब्लॉग पर प्रकाशित की जायंगी ......प्रस्तुत है....ग़ज़ल-7.... आशनाई ...
यूं तो खारों से ही अपनी आशनाई है |
आंधियां भी तो सदा हमको रास आईं हैं |
मुश्किलों का है सफ़र जीना यहाँ ए दिल,
हर एक मुश्किल नयी राह लेके आई है |
तू न घबराना गर राह में पत्थर भी मिलें ,
पत्थरों में भी उसी रब की लौ समाई है |
डूबकर जानिये इसमें ये है दरिया गहरा,
लुत्फ़ क्या तरने का जिसमें न हो गहराई है |
आशिकी उससे करो श्याम हो दुश्मन कोई,
दोस्त, दुश्मन को बनाए वो आशनाई है ||