saahityshyamसाहित्य श्याम

यह ब्लॉग खोजें

Powered By Blogger

शुक्रवार, 22 मई 2009

ज़िंदगी

मुक्तक
ज़िंदगी तेरे पास आख़िर नया क्या है,
पैदा होना ,जीना मरना और क्या है।
क्यों तुझे घुट -घुट के फ़िर इंसां जिए ,
मौत से ज्यादा यहाँ कुछ और क्या है।

ज़िंदगी के पास आख़िर और क्या है,
मौत के ही सिवा आख़िर राज़ क्या है।
क्यों न जोशो-जुनूँसे इसको जियें ,
हँसनेजीने जे बिना जीना भी क्या है॥

कोई टिप्पणी नहीं: