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सोमवार, 25 जनवरी 2016

बाल गीत ---उठा तिरंगा हाथों में हम...डा श्याम गुप्त

                                   कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित   

बाल गीत ---उठा तिरंगा हाथों में हम----


स्वाभिमान से शीश उठाकर ,
ऊंचाई के आसमान पर ।
उठा तिरंगा हाथों में हम,
फहरा फहरा चढाते जाएँ |


हम हैं गोप गोपिका सुमिरें ,
गोवर्धन धारी कान्हा को।
वह गोविन्द हो सखा हमारा ,
जिसने पूजा धरती माँ को।

धन औ धान्य प्रगति करने को,
हम उसके राही बन जाएँ।
उठा तिरंगा हाथों में हम ,
आसमान पर चढाते जाएँ।

कठिन परिश्रम करें लगा मन ,
सभी सफलता वर सकते हैं।
दृढ इच्छा से कार्य करें तो,
सूरज -चाँद पकड़ सकते हैं।

द्वेष भाव , आतंक भाव तज,
आगम-निगम विचार सुनाएँ ।
जग को शान्ति-मन्त्र देने को ,
गीता वाक्य प्रसार कराएं |

विश्व शान्ति महकाते जाएँ ,
आसमान पर चढ़ते जाएँ।
उठा तिरंगा हाथों में हम,
आसमान पर चढ़ते जाएँ ॥

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