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शनिवार, 6 जून 2009

श्याम लीला -२ --नाग -नथैया--जल प्रदूषण

१.
कालिंदी का तीर औ ' वंशी -धुन की टेर,
गोप-गोपिका मंडली , नगर लगाती फेर ।
नगर लगाती फेर ,सभी को यह समझाती ,
ग्राम,नगर की सभी गन्दगी जल में जाती ।
विष सम काला दूषित जल है यहाँ नदी का ,
बना सहस-फन नाग ,कालिया कालिंदी का।।

२.
यमुना तट पर श्याम ने वंशी दई बजाय,
चहुँ -दिशि,मोहिनि फेरकर,सबको लिया बुलाय।
सब को लिया बुलाय , प्रदूषित यमुना भारी ,
करें सभी श्रम दान , स्वच्छ हो नदिया सारी ।
तोड़ किया विष हीन , प्रदूषण नाग का नथुना ,
फन-फन नाचे श्याम,झरर-झर झूमी यमुना ॥

1 टिप्पणी:

Urmi ने कहा…

बहुत ही शानदार लिखा है आपने कि कहने के लिए अल्फाज़ नहीं है!