saahityshyamसाहित्य श्याम

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शुक्रवार, 19 जून 2009

कुछ त्रिपदा अगीत --

तुमसे मिलने की खुशी भी है ,
न मिल पाने का गम भी;
कितने गम हैं जमाने में।

खडे सडक इस पार रहे हम,
खडे सडक उस पार रहे तुम;
बीच में दुनिया रही भागती।

कहके वफ़ा करेंगे सदा,
वो ज़फ़ा करते रहे यारो;
ये कैसा सिला है बहारो।

तेरे सन्ग हर रितु मस्तानी,
हर बात लगे नई कहानी;
रात दिवानी सुबह सुहानी।

बात क्या बागे-बहारों की,
बात न हो चांद सितारों की;
बात बस तेरे इशारों की।

चाहत थी हम कहें बहुत कुछ,
तुम हर लम्हा रहे लज़ाते;
हम कसमसाते ही रह गये।

चर्चायें थीं स्वर्ग नरक की,
देखी तेरी वफ़ा-ज़फ़ा तो;
दोनों पाये तेरे द्वारे।।

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