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मंगलवार, 12 मई 2009

गजानन -वन्दना

कर्म प्रधान जगत में जग में ,
प्रथम पूज्य ,हे सिद्धि विनायक !
कृपा करो हे बुद्धि विधाता ,
रिद्धि -सिद्धि दाता गण-नायक ।

श्याम ह्रदय को पुष्पित कर दो ,
प्रेम शक्ति से यह मन भरदो ।
आदि लेख लेखक ,हे गणपति !
लेखन प्रेम पयोनिधि करदो ।

पंथ प्रेम का महा कठिन प्रभु ,
सिद्धि सदन तुम सिद्धि प्रदाता ।
द्वार पडा हे गौरी- नंदन !
भक्ति कृपा वर दो ,हे दाता !

1 टिप्पणी:

gyaneshwaari singh ने कहा…

jai ganesh ji ki
apne blog ki shuruaat ganesh ji ki vandana se ki dekh kar khushi hui bahut...

aur ye bhi bahut achi likhi hai

regards
sakhi