उपलब्धि
टीटू का सिलेक्शन हो गया ,
यह सुनकर ,
कितने ही रंग ,आए और गए ;
तुम्हारे चहरे पर।
एक उपलब्धि की,
पूर्णता की,
आत्म तुष्टि सी छागी थी ;
तुम्हारे मुखमंडल पर ,
जैसे राज्य पालिया हो,
सारे भूमंडल पर।
संतान की उपलब्धि,उसकी-
उत्पत्ति से अधिक हर्षदायी होती है,
उत्पत्ति के समय फ़िर भी,
मन सशंकित रहता है ;
उसके पात्र या अपात्र होने का ,
संशय रहता है।
उपलब्धि ,
इस अनायास ही पाले हुए ,
संशय की समाप्ति है;
अतः ,वही सच्ची
संतति प्राप्ति है॥
जवाब
bete ने जब देदिया ,
हमको आज जबाव।
सकते में हम आगये,
जैसे टूटा ख्वाब
नज़र उठा कर क्रोध से,
देखा उसकी ओर ।
सोच समझ कर थाम ली
खामोशी की डोर।
उनके दिए जवाब का,
हमको मिला जवाब।
समझ गए हम,कुंवर जी ,
अब होगेये नवाब
साथी
बिटिया की जब शादी होगी ,
तुम नानी बन जाओगी।
तब भी क्या यूंही बन ठन कर,
मेरे सम्मुख आओगी !
बेटे की जब शादी होगी,
तुम दादा बन जाओगे।
तब भी क्या तुम किचिन में-
आकर,मेरा हाथ बंटाओगे!
तंग करेगा दर्द दांत का,
घुटनों में पीढा होगी।
तब भी क्या तुम कदम मिलाकर,
साथ-साथ चल पाओगी !
मोटा चश्मा लग जाएगा,
कुछ ऊंचा सुन पाओगे ।
उसी तरह हम साथ चलेंगे,
जैसे तुम चल पाओगे ॥
साहित्य के नाम पर जाने क्या क्या लिखा जा रहा है रचनाकार चट्पटे, बिक्री योग्य, बाज़ारवाद के प्रभाव में कुछ भी लिख रहे हैं बिना यह देखे कि उसका समाज साहित्य कला , कविता पर क्या प्रभाव होगा। मूलतः कवि गण-विश्व सत्य, दिन मान बन चुके तथ्यों ( मील के पत्थर) को ध्यान में रखेबिना अपना भोगा हुआ लिखने में लगे हैं जो पूर्ण व सर्वकालिक सत्य नहीं होता। अतः साहित्य , पुरा संस्कृति व नवीनता के समन्वित भावों के प्राकट्य हेतु मैंने इस क्षेत्र में कदम रखा। कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित......
सोमवार, 10 अगस्त 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
2 टिप्पणियां:
sehaj aur saral abhivyakti.achchi lagi
dhanyavaad jo aap aaye,
aapako ye bol bhaaye.
एक टिप्पणी भेजें