saahityshyamसाहित्य श्याम

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सोमवार, 10 अगस्त 2009

काव्य-दूत ,गतांक से आगे --

उपलब्धि

टीटू का सिलेक्शन हो गया ,
यह सुनकर ,
कितने ही रंग ,आए और गए ;
तुम्हारे चहरे पर।

एक उपलब्धि की,
पूर्णता की,
आत्म तुष्टि सी छागी थी ;
तुम्हारे मुखमंडल पर ,
जैसे राज्य पालिया हो,
सारे भूमंडल पर।

संतान की उपलब्धि,उसकी-
उत्पत्ति से अधिक हर्षदायी होती है,
उत्पत्ति के समय फ़िर भी,
मन सशंकित रहता है ;
उसके पात्र या अपात्र होने का ,
संशय रहता है।

उपलब्धि ,
इस अनायास ही पाले हुए ,
संशय की समाप्ति है;
अतः ,वही सच्ची
संतति प्राप्ति है॥


जवाब

bete ने जब देदिया ,
हमको आज जबाव।
सकते में हम आगये,
जैसे टूटा ख्वाब

नज़र उठा कर क्रोध से,
देखा उसकी ओर ।
सोच समझ कर थाम ली
खामोशी की डोर।

उनके दिए जवाब का,
हमको मिला जवाब।
समझ गए हम,कुंवर जी ,
अब होगेये नवाब



साथी
बिटिया की जब शादी होगी ,
तुम नानी बन जाओगी।
तब भी क्या यूंही बन ठन कर,
मेरे सम्मुख आओगी !

बेटे की जब शादी होगी,
तुम दादा बन जाओगे।
तब भी क्या तुम किचिन में-
आकर,मेरा हाथ बंटाओगे!

तंग करेगा दर्द दांत का,
घुटनों में पीढा होगी।
तब भी क्या तुम कदम मिलाकर,
साथ-साथ चल पाओगी !

मोटा चश्मा लग जाएगा,
कुछ ऊंचा सुन पाओगे ।
उसी तरह हम साथ चलेंगे,
जैसे तुम चल पाओगे ॥


2 टिप्‍पणियां:

Prem ने कहा…

sehaj aur saral abhivyakti.achchi lagi

डा श्याम गुप्त ने कहा…

dhanyavaad jo aap aaye,
aapako ye bol bhaaye.