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रविवार, 3 मई 2020

डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश पुष्प- २-b.कवि मित्रों के उदगार---हरिजन, निर्दोष, अनुरागी ...डा श्याम गुप्त

                                          कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित

डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश का लोकार्पण २२-०२-२०२० को हुआ |---तुरंत लौकडाउन के कारण कुछ विज्ञ लोगों तक नहीं पहुँच पा रही है अतः --यहाँ इसे क्रमिक पोस्टों में प्रस्तुत किया जाएगा | प्रस्तुत है --
पुष्प- २-आशंसायें, शुभकामनाएं व उद्गार, व काव्यांजलि -----
b.कवि मित्रों के उदगार---मुरली मनोहर कपूर ‘निर्दोष’..रवीन्द्र सिंह अनुरागी  ...सूर्यप्रसाद मिश्र हरिजन ...

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अभिनंदन---डा.श्याम गुप्त------ मुरली मनोहर कपूर ‘निर्दोष’
                  यूं तो मनुष्य अपने जीवन में कई स्तर से जीता है , कभी भौतिक, कभी आध्यात्मिक | कहने का तात्पर्य यह है की मनुष्य की रूचि समय समय पर बदलती रहती है | डा श्याम गुप्त अपने समय के प्रसिद्द शल्य चिकित्सक ( सर्जन ) रहे उत्तर रेलवे से सेवानिवृत्ति के पश्चात उनको माँसरस्वती ने न जाने कब , कैसे प्रेरणा दी और वे साहित्य सृजन में लग गए |
                महाकवि संत तुलसी दास जीवन की एक घटना केकारण  सारा जीवन प्रभु राम को समर्पित कर दिया |  कालजयी रचना ‘राम चरित मानस’ काप्रणयन करके वे अमर होगये | प्रश्न यह उठता है कि आदरणीय डा श्याम गुप्त जी को कबकहाँ से प्रेरणा मिली की वे एक श्रेष्ठ साहित्यकार बन गए |
             डा श्याम गुप्त  बहुमुखी प्रतिभा के धनी ,सरल, सहज एवं मानवीयमूल्यों से ओत प्रोत रहते हैं | आप निरंतर लक्षणा एवं व्यंजना को संजोये रहते हैं|गीत अगीत ग़ज़ल दोहे मुक्तक, नज़्म रुबाइयां छंद नारी विमर्श वैज्ञानिक सामाजिक दार्शनिकएवं अनेक एतिहासिक विषयों पर लेख लिखते रहते हैं|
           डा श्याम गुप्त जी ने कई नवीन छंदों की रचनाकी है | उदाहरणार्थ –गीति विधा के पंचक सवैया, श्याम सवैया , श्याम घनाक्षरी आदि |अगीत विधा के लयबद्ध अगीत, षट्पदी अगीत, त्रिपदा अगीत, नव-अगीत छंद आदि | आपकी लगभग १५ कृतियाँ प्रकाशित होचुकी हैं तथा अनेक कृतियाँ प्रकाशनार्थ बाटजोह रही हैं| आपने अगीत विधा का सर्वप्रथम छंद विधान, लक्षण ग्रन्थ ‘ अगीत साहित्यदर्पण’; की रचना की है जो हिन्दी साहित्य की एक धरोहर है |
          आप हिन्दी , ब्रजभाषा व अंग्रेज़ी के सृजन मेंसदा रचनारत रहते हैं| साहित्य प्रोत्साहन हेतु अपने पूज्य पिता स्व. लाला जगन्नाथप्रसाद गुप्ता जी की स्मृति में एक मार्च को साहित्यकार दिवस पर प्रत्येक वर्ष एकसाहित्यकार को सम्मान पत्र अंगवस्त्र व धनराशि देकर सम्मानित व पुरस्कृत करते हैं|
         आपको देश की अनेकों साहित्यिक संस्थाओं द्वारासम्मानित व पुरस्कृत भी किया जा चुका है | वरिष्ठ साहित्यकार डा श्याम गुप्त जी केव्यक्तित्व व कृतित्व पर  लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ  द्वारा शोध भी किया जाचुका है |
         डा श्याम गुप्त जी सहिष्णु, परोपकारी व अहिंसकप्रकृति के विद्वान् हैं | आशा है कि आप सदा इसी प्रकार विद्या, यश और स्वास्थ्यसे परिपूर्ण होकर हिन्दी साहित्य की सेवा करते रहें |  ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करे | आपसे हिन्दी और हिन्दी से आप विभूषित हों |
          मैं आपकी समाज सेवा व साहित्य साधना कोशत शत नमन करता हूँ | आशा करता हूँ सदा इसी प्रकार हिन्दी साहित्य की सेवा करतेरहेंगे |

   ई -३०२५, राजाजी पुरम,                                                         मुरली मनोहर कपूर ‘निर्दोष’
   लखनऊ-१७      मो.९९३५१५५५२१                                                                                                         
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साहित्य जगत के सितारे -डा श्याम गुप्त ----वीन्द्र सिंह अनुरागी  
      आधुनिक साहित्य जगत के सितारे डा.श्याम गुप्त उत्तरप्रदेश के आगरा नगर के निवासी हैं| आप में एक चिकित्सक के साथ एक साहित्यकार भी छिपा हुआ है|आपने सरोजिनी नायडू चिकित्सा महाविद्यालय, आगरा  से शल्य चिकित्सा में मास्टर की डिग्री प्राप्त की एवं भारतीय रेल सेवा में देश के विभिन्न नगरों पदों पर कार्यरत रहे| अतः देश की सांस्कृतिक सामाजिक विविधताओं का आपको भली भांति ज्ञान है जो आपकी रचनाओं कृतियों की विषय एवं विधाओं की विविधताओं में छलकता है |
        डा श्याम गुप्त साहित्य की सभी विधाओं में रचनारत हैं गीत,अगीत,तुकांत-अतुकांत,छंद, कथा,कहानी,आलेख,गद्य पद्य की सभी विधाओं में रचना करते हैं| वे अतुकांत गीतों-कविताओं में गीतों की रचना में भी उतने ही सक्षम हैं जितना गीतों की रचना में |अगीत-विधा के विधि-विधान पर सर्वप्रथम शास्त्रीय ग्रन्थ अगीत साहित्य दर्पणआपकी अनुपम लक्षण ग्रन्थ कृति है|आप हिन्दी,अंग्रेज़ी ब्रजभाषा में रचना करते हैं|
      आप ने हिन्दी ब्रजभाषा में खंडकाव्य,महाकाव्य,काव्य-संग्रह,उपन्यास आदि लगभग १५ कृतियों की रचना की है एवं अभी अनेक कृतियाँ आने वाली हैं |आपको अनेकों सम्मानों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है|
    माँ भारती से कामना है की उनकी कलम नयी-नयी रचनाएँ करती रहे |

ई३-/३५६ , सेक्टर एच                        रवीन्द्र सिंह अनुरागी                            
एल डी कालोनी ,
कानपुर रोड, लखनऊ -२२६०१२

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दक्षतापूर्ण व्यक्तित्व -डा श्याम गुप्त ---सूर्या प्रसाद मिश्र हरिजन











----क्रमश

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