कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
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डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश का लोकार्पण २२-०२-२०२० को हुआ |---तुरंत लौकडाउन के कारण कुछ विज्ञ लोगों तक नहीं पहुँच पा रही है अतः --यहाँ इसे क्रमिक पोस्टों में प्रस्तुत किया जाएगा | प्रस्तुत है --
पुष्प- २-आशंसायें, शुभकामनाएं व उद्गार, व काव्यांजलि -----
b.कवि मित्रों के उदगार---मुरली मनोहर कपूर ‘निर्दोष’..रवीन्द्र सिंह अनुरागी ...सूर्यप्रसाद मिश्र हरिजन ...
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यूं तो मनुष्य अपने जीवन में
कई स्तर से जीता है , कभी भौतिक, कभी आध्यात्मिक | कहने का तात्पर्य यह है की मनुष्य की रूचि समय समय पर बदलती रहती है | डा श्याम गुप्त अपने समय के प्रसिद्द शल्य चिकित्सक ( सर्जन ) रहे उत्तर रेलवे से सेवानिवृत्ति के पश्चात उनको माँसरस्वती ने न जाने कब , कैसे प्रेरणा दी और वे साहित्य सृजन में लग गए |
महाकवि संत तुलसी दास जीवन की एक घटना केकारण सारा जीवन प्रभु राम को समर्पित कर
दिया | कालजयी रचना ‘राम चरित मानस’ काप्रणयन करके वे अमर होगये | प्रश्न यह उठता है कि आदरणीय डा श्याम गुप्त जी को कबकहाँ से प्रेरणा मिली की वे एक श्रेष्ठ साहित्यकार बन गए |
डा श्याम गुप्त बहुमुखी प्रतिभा के धनी ,सरल, सहज एवं मानवीयमूल्यों से ओत प्रोत रहते हैं | आप निरंतर लक्षणा एवं व्यंजना को संजोये रहते हैं|गीत अगीत ग़ज़ल दोहे मुक्तक, नज़्म रुबाइयां छंद नारी विमर्श वैज्ञानिक सामाजिक दार्शनिकएवं अनेक एतिहासिक विषयों पर लेख लिखते रहते हैं|
डा श्याम गुप्त जी ने कई नवीन छंदों की रचनाकी है | उदाहरणार्थ –गीति विधा के पंचक सवैया, श्याम सवैया , श्याम घनाक्षरी आदि |अगीत विधा के लयबद्ध अगीत, षट्पदी अगीत, त्रिपदा अगीत, नव-अगीत छंद आदि | आपकी
लगभग १५ कृतियाँ प्रकाशित होचुकी हैं तथा अनेक कृतियाँ प्रकाशनार्थ बाटजोह रही हैं| आपने अगीत विधा का सर्वप्रथम छंद विधान, लक्षण ग्रन्थ ‘ अगीत साहित्यदर्पण’; की रचना की है जो हिन्दी साहित्य की एक धरोहर है |
आप हिन्दी , ब्रजभाषा व अंग्रेज़ी के सृजन मेंसदा रचनारत रहते हैं| साहित्य प्रोत्साहन हेतु अपने पूज्य पिता स्व. लाला जगन्नाथप्रसाद गुप्ता जी की स्मृति में एक मार्च को साहित्यकार दिवस पर प्रत्येक वर्ष एकसाहित्यकार को सम्मान पत्र अंगवस्त्र व धनराशि देकर सम्मानित व पुरस्कृत करते हैं|
आपको देश की अनेकों साहित्यिक संस्थाओं द्वारासम्मानित व पुरस्कृत भी किया जा चुका है | वरिष्ठ साहित्यकार डा श्याम गुप्त जी केव्यक्तित्व व कृतित्व पर लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा शोध भी किया जाचुका है |
डा श्याम गुप्त जी सहिष्णु, परोपकारी व अहिंसकप्रकृति के विद्वान् हैं | आशा है कि आप सदा इसी प्रकार विद्या, यश और स्वास्थ्यसे परिपूर्ण होकर हिन्दी साहित्य की सेवा करते रहें | ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करे | आपसे हिन्दी
और हिन्दी से आप विभूषित हों |
मैं आपकी समाज सेवा व साहित्य साधना कोशत शत नमन करता हूँ | आशा करता हूँ सदा इसी प्रकार हिन्दी साहित्य की सेवा करतेरहेंगे |
ई -३०२५, राजाजी पुरम, मुरली मनोहर कपूर ‘निर्दोष’
लखनऊ-१७
मो.९९३५१५५५२१
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साहित्य जगत के सितारे -डा श्याम गुप्त ----रवीन्द्र सिंह अनुरागी
आधुनिक साहित्य जगत के सितारे डा.श्याम गुप्त उत्तरप्रदेश के आगरा नगर के निवासी हैं| आप में एक चिकित्सक के साथ एक साहित्यकार भी छिपा हुआ है|आपने सरोजिनी नायडू चिकित्सा महाविद्यालय,
आगरा से शल्य चिकित्सा में मास्टर की डिग्री प्राप्त की एवं भारतीय रेल सेवा में देश के विभिन्न नगरों व पदों पर कार्यरत रहे| अतः देश की सांस्कृतिक व सामाजिक विविधताओं का आपको भली भांति ज्ञान है जो आपकी रचनाओं व कृतियों की विषय एवं विधाओं की विविधताओं में छलकता है |
डा श्याम गुप्त साहित्य की सभी विधाओं में रचनारत हैं गीत,अगीत,तुकांत-अतुकांत,छंद, कथा,कहानी,आलेख,गद्य व पद्य की सभी विधाओं में रचना करते हैं| वे अतुकांत गीतों-कविताओं में
गीतों की रचना में भी उतने ही सक्षम हैं जितना गीतों की रचना में |अगीत-विधा के विधि-विधान पर सर्वप्रथम शास्त्रीय ग्रन्थ ‘अगीत साहित्य दर्पण’ आपकी अनुपम लक्षण ग्रन्थ कृति है|आप हिन्दी,अंग्रेज़ी व ब्रजभाषा में रचना करते हैं|
आप ने हिन्दी व ब्रजभाषा में खंडकाव्य,महाकाव्य,काव्य-संग्रह,उपन्यास आदि लगभग १५ कृतियों की रचना की है एवं अभी अनेक कृतियाँ आने वाली हैं |आपको अनेकों सम्मानों व पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है|
माँ भारती से कामना है की उनकी कलम नयी-नयी रचनाएँ करती रहे |
ई३-/३५६ , सेक्टर एच रवीन्द्र सिंह अनुरागी
एल डी ए कालोनी ,
कानपुर रोड, लखनऊ -२२६०१२
दक्षतापूर्ण व्यक्तित्व -डा श्याम गुप्त ---सूर्या प्रसाद मिश्र हरिजन
----क्रमश
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