कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
पुष्प- २-आशंसायें, शुभकामनाएं व उद्गार, व काव्यांजलि --b.कवि मित्रों के उदगार-- डॉ. सुरेश प्रकाश शुक्ल
संस्थापक-प्राची साहित्य एवं अवधी शोध संस्थान
डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश का लोकार्पण २२-०२-२०२० को हुआ |---तुरंत लौकडाउन के कारण कुछ विज्ञ लोगों तक नहीं पहुँच पा रही है अतः --यहाँ इसे क्रमिक पोस्टों में प्रस्तुत किया जाएगा | प्रस्तुत है --
अभिनंदनीय हैं , वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्याम गुप्त ---डॉ. सुरेश प्रकाश शुक्ल
यहजानकर प्रसन्नता हुई कि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्याम गुप्त जी के दीर्घकालीन साहित्य साधना को देखते हुए उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर केन्द्रित ‘अभिनंदनग्रन्थ’ का प्रकाशन किया जा रहा है |
डॉ. श्याम गुप्त भारतीय रेलवे के साथ रहकर शल्य चिकित्सक के रूप में अपनी सेवायें कर चुके हैं | वे साहित्यिक क्षेत्र में भी सफलता पूर्वक अपनी तूलिका चला रहे हैं| सबसे पहले मेरे आवास पर विगत तीन दशकों से अनवरत होती आरही गोष्ठियों में उनसे मेरी भेंट हुई | तब से अनवरत अनेक गोष्ठियों और नगर में आयोजित सारस्वत कार्यक्रमोंमें उनसे लगातार मुलाकातें होती रहती हैं|
मेरा मानना है की व्यक्ति का जैसा व्यक्तित्व और आचार व्यवहार होता है वैसा ही उसके चिंतन और सृजन में उतर कर आता है | डॉ. गुप्त एक चिकित्सक हैं और स्वाभाविक रूप से सज्जनता, विनम्रता और परोपकार की भावना उनमें दिखाई देती है | अतः उनके विपुल साहित्य में भी सामाजिक विद्रूपताओं के चित्रण के साथ ही सहिष्णुता और सद्भावना भीहोती है |
डॉ. श्याम गुप्त ने यद्यपि सरकारी सेवाओं से मुक्त होने के बाद नियमित साहित्य सृजन में अपना अवदान करना आरम्भ किया तो भी गद्य और पद्य दोनों ही क्षेत्रों की लगभग सभी विधाओं में अपना भरसक योगदान किया है | वे कविता के क्षेत्र में छंद और छंदमुक्त दोनों प्रकार की रचनाएँ करते आये हैं| उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, पद, कुण्डलियाँ औरअनेक प्रकार के छंद बहुतायत में लिखे हैं| उन्होंने इस क्षेत्र में अनेक नवीन
छंदों का आविष्कार भी किया है |
गद्य के क्षेत्र में भी डॉ. गुप्त ने बहुआयामी सृजन किया है | कहानी, उपन्यास, आलेख, समीक्षा और कई नाटिकाएं भी उन्होंने लिखी हैं | उनकी कुछ कहानियां मेरे सम्पादन व प्रकाशन में प्राची प्रतिभा मासिक पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं |
इस प्रकार अब तक उनकी विविध विधाओं में पंद्रह कृतियाँ प्रकाशित और चर्चित हो चुकी हैं जो प्रायः स्त्री-विमर्श, वैज्ञानिक, दार्शनिक, सामाजिक , पौराणिक और एतिहासिक विषयों पर लिखी गयीं बहुत उपयोगी हैं| काव्यदूत, काव्य निर्झरिणी, काव्य-मुक्तामृत, सृष्टि, प्रेमकाव्य, शूर्पणखा, ब्रज-बांसुरी, कुछ शायरी की बात होजाए, अगीत त्रयी, तुम तुम और तुम, ईशोपनिषद का काव्य भावानुवाद, काव्य-काँकरियाँ, पीर ज़माने की और इन्द्रधनुष उपन्यास आदि काव्य कृतियों से डॉ. गुप्त को विशेष पहचान मिली है | वे
सोशल मीडिया पर पर भी काफी सक्रिय हैं|
डॉ.गुप्त को राजभाषा विभाग, उ.प्र. द्वारा राजभाषा सम्मान के साथ ही देश की और स्थानीय अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है |
डॉ. श्याम गुप्त मेरे मित्र व परम हितैषी हैं| उनकी अमूल्य साहित्यिक सेवाओं के लिए उनपर केन्द्रित अभिनंदन ग्रन्थ शीघ्र प्रकाशित हो मेरी यह कामना है| वे ऐसे ही साहित्य भारती का भण्डार अपने सृजन से भरते रहें | वे दीर्घजीवी हों |मैं उन्हें बधाई और अनंत शुभकामनायें देता हूँ |
आवास-९३, पवन पुरी , साहित्यभूषण डॉ. सुरेश प्रकाश शुक्ल
आलमबाग अवकाश प्राप्त असोसिएट प्रोफ़ेसर लखनऊ
श्री जय नारायण पीजी कालिज, लखनऊ
संपादक-प्राची प्रतिभा ( हिन्दी मासिक )
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