कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश का लोकार्पण २२-०२-२०२० को हुआ |---तुरंत लौकडाउन के कारण कुछ विज्ञ लोगों तक नहीं पहुँच पा रही है अतः --यहाँ इसे क्रमिक पोस्टों में प्रस्तुत किया जाएगा | प्रस्तुत है --
पुष्प- २-आशंसायें, शुभकामनाएं व उद्गार, व काव्यांजलि -----
b.कवि मित्रों की शुभकामनाएं उदगार---हरी प्रकाश हरी , पार्थोसेन , विजय कुमारी मौर्या ---
१.शुभकामनाएं ---हरी प्रकाश हरी....
मन यह जानकर अत्यंत हर्षितप्रफुल्लित एवं गौरवान्वित है किअगीत एवं नव सृजन साहित्यिक सांस्कृतिकसंस्थाओं द्वारा लखनऊ के अनुभवी एवं कुशल शल्य चिकित्सक, वरिष्ठ साहित्यकार महाकवि
डा श्याम गुप्त जी की साहित्यिक साधना युत सेवाओं को समुचित सम्मान एवं स्थानसंपूर्ण साहित्य जगत एवं साहित्यकारों का अभिनंदन एवं सम्मान है |प्रदान करने हेतु एक अभिनंदन-ग्रन्थ का प्रकाशन किया जारहा है | यह वस्तुतः
एक शल्य चिकित्सक जैसे दुरूह एवं अति-व्यस्ततमव्यवसाय एवं सेवा में रत रहते हुए भी सवा दर्जन विविध विषयों एवं विधाओं पर प्रकाशित कृतियों के अतिरिक्त २०० गीत, २५० गज़लें, नज़्म रुबाइयां कते शेर आदि, ३००
अगीत, ७० कथाएं , २०० से अधिक विविधविमर्शों एवं विषयों पर लिखे गए लेखों के साथ ही अनेक निबंध एवं समीक्षाएं भी डाश्याम गुप्त जी द्वारा लिखा जाना अपने आप में ही उनकी श्रेष्ठता और उत्कृष्टता कापरिचायक तो है ही अपितु उनके अविश्वश्नीय और अकल्पनीय व्यक्तित्व की महानता का
द्योतक भी है |
आपकी महानता का एक और मान बिंदु लखनऊ विश्व विद्यालय द्वारा ‘डा श्यामगुप्त के व्यक्तित्व व कृतित्व ‘ पर शोध भी है | डा श्याम गुप्त जी का दर्जनोंविशिष्ट व अतिविशिष्ट सम्मानों से विभूषित होना तो सोने में सुहागा ही है |
साहित्य जगत के ऐसे दैदीप्यमान ज्योतिपुंजडा श्याम गुप्त जी पर प्रकाशित होरहे अभिनंदन ग्रन्थ हेतु अपनी शुभकामनाएं प्रेषितकरने का सुअवसर एवं सौभाग्य प्राप्त कर मैं स्वयं को भी सम्मानित, गौरवान्वित एवं
अभिनंदित अनुभव कर रहा हूँ |
बारंबार बहुत बहुत शुभ कामनाओं सहित
| सादर...
डा हरी प्रकाश ‘हरि’
सेवा निवृत्त विशेष सचिव
विधान परिषद् ,
सचिवालय , उत्तर प्रदेश
मोब.८००५१ ९९२८१ / ८८४०००२६५२
---
२.महाकवि
डा श्याम गुप्त मेरी नज़र में
......पार्थो सेन--
व्यक्तित्व व कृतित्व एक सिक्के के
दो पहलू हैं | यह कहना अनुचित नहीं होगा
कि कृतित्व ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को ऊंचा करने में सहांयक होता है | आज हम
जिन्हें महापुरुषों के रूप में सम्मान करते हैं
उनके कर्मों ने ही उन्हें महान
बनाया जो उनका व्यक्तित्व होगया |
रेलवे विभाग में कुशल शल्य चिकित्सक डा श्याम गुप्त जी ने साहित्य
में पदार्पण विधिवत २००४ में अपनी प्रथम पुस्तक ‘काव्यदूत; से किया और अब तक उनकी
१५ पुस्तकें प्रकाशित होकर प्रशांसित चुकी हैं| साहित्य जगत में पदार्पण का भी कोइ
कारण या संयोग हुआ करता है जहां से व्यक्ति शनैः शनैः उस क्षेत्र में अग्रसर होता
है | ऐसा ही कुछ कविवर डा श्याम गुप्त जी के साथ हुआ | कक्षा आठ के विद्यार्थी रूप
में इनकर सहपाठी श्री रामकुमार अग्रवाल कवितायें लिखते व इन्हें दिखाते थे, बस
यहीं से इनके ह्रदय में परिवर्तन हुआ और आप कलम के साधक बन गए | यहाँ यह सत्य ही
है कि आप पहले साहित्य के क्षेत्र में आये तत्पश्चात शल्य चिकित्सा जगत में |
चूंकि शल्य चिकित्सा इनकी आजीविका रही अतः यह आवश्यक था कि वे उसका निर्वाह करते |
सन २००४ ई में सेवा निवृत्त होने से कुछ पहले ही उन्होंने अपनी प्रथम कृति
‘काव्यदूत’ को हम सबके समक्ष प्रस्तुत कर दिया |
प्रथम काव्यकृति ‘काव्यदूत’
आपने अपनी जीवन संगिनी सुषमा गुप्ता को समर्पित किया है| काव्यदूत तुकांत व
अतुकांत रचनाओं का विविधता लिए हुए संग्रह है जिसमें कवि मन के अंतर्द्वान्द्व
सामने आये हैं --यथा एक काव्यांश देखिये--“मन के अंतर्द्वंद्व से / यह विचार
उभर कर आया /
चेतना ने / जीवन
की कविता / लिखने को सुझाया |”
नीति शिक्षा विज्ञान धर्म दर्शन
संस्कृति निहित विविध रचनाओं से युत तुकांतकाव्य संग्रह “ काव्य निर्झरिणी
“, अतुकांत रचनाओं युत संग्रह ‘काव्य मुक्तामृत’ , सृष्टि व
ब्रह्माण्ड को नायक रूप देकर महाकाव्य ‘सृष्टि ‘ की रचना करके एक
नवीन रूप में आपने हिन्दी साहित्य जगत में एक सराहनीय कार्य किया है | ‘प्रेम
काव्य महाकाव्य ‘ का नायक व नायिका स्वयं प्रेम ही है जो एक अभिनव प्रयोग
है | नारी विमर्श पर आधारित उनकी कृतियाँ शूर्पणखा खंडकाव्य , व ‘इन्द्रधनुष
उपन्यास ‘ है | शूर्पणखा में वे कहते हैं –
विदुषी शिक्षित और साक्षर /
नारी ही आधार है सदा/हर समाज की नर जीवन
की | ‘
इस प्रकार शायरी संग्रह ‘ कुछ
शायरी की बात होजाए ‘ ..प्रेम गीत संग्रह ‘तुम तुम और तुम’
..वैदिक दर्शन आधारित ‘ईशोपनिषद का काव्य भावानुवाद ‘..अगीत विधा के
तीन स्तंभों पर ‘अगीत त्रयी’..ग़ज़ल संग्रह ‘पीर ज़माने की ‘..एवं गीत - अगीत विधा की विभिन्न रस युक्त लघुकाओं
के संग्रह ई बुक ‘काव्य काँकरियां की भी आपने रचना की है | अगीत
कविता विधा के लक्षण ग्रन्थ उसका सर्वप्रथम छंद विधान ‘ अगीत साहित्य दर्पण’
की रचना करके एवं इस विधा के विभिन्न छंदों का सृजन करके आपने इस विधा के
स्थायित्व में बहुत बड़ा योगदान किया है |
परिमार्जित हिन्दी के अतिरिक्त आप
ब्रजभाषा में भी रचना रत है | आपने अपनी सहधर्मिणी सुषमा गुप्ता के सहयोग में
ब्रजभाषा में ‘ ब्रजबांसुरी ‘ पुस्तक की भी रचना की है | एक
काव्यांश प्रस्तुत है, जिसमें भ्रष्टाचार
पर प्रहार किया गया है ---
‘साँचु
न्याय बरत नेमु धरम /अब काहू को न सुहावै |
कारे
धन की खूब कमाई / पाछे सब जग धावै |’
इन सभी कृतियों की
समीक्षायें दैनिक तथा साप्ताहिक समाचार पत्रों व विभिन्न पत्रकाओं में प्रकाशित
हुईं | शीर्षक स्वयं एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं वैसी ही उनकी विषयवस्तु व सामग्री
भी है | निसंदेह डा श्याम गुप्त एक सिद्धहस्त महाकवि हैं | इन कृतियों के साथ आप
ब्लॉग लेखक मंच से भी जुड़े हैं और महाभारत २०११ में रचनाकार के साथ साथ
प्रतियोगिता के निर्णायक के रूप में विशिष्ट सम्मान प्राप्त किया |
आप
अंग्रेज़ी भाषा में भी कवितायें लिखते हैं , चार पंक्तियाँ देखें ---
‘There was
darkness in the life ,
And life was
a great strife .
Someone
brought the ray of hope
And filled
the heart with light
कहानी कार के रूप में डा
श्याम गुप्त जी मूलतः संतुलित तथा लघु
कहानियां लिखते हैं | खरगोश के जोड़े की कहानी, विकृति की जड़ जो माँ बाप व बच्चों
के संस्कार पर आधारित है, भवचक्र –जिसमें परिवार व दायित्व की बात कही गयी है -आदि
कथाये पाठकों द्वारा सराही गयीं | आपकी लगभग ८० कहानियाँ प्रकाशित हैं |
आपसे साहित्य का कोइ अंग छूटा नहीं है
| आप संघात्मक समीक्षा पद्धति से भी जुड़े हैं | स्नेह प्रभा जी की कर्मवीर,
मधु त्रिपाठी रचित ‘मधुमाधुरी’, डा उषा गुप्ता की-‘अमेरिका प्रवासी काव्य प्रतिभाएं ‘ आदि आपकी प्रशंसित समीक्षायें
हैं जो समीक्षकों को दिशा प्रदान करती
हैं| समय समय पर आप लेखकों कवियों की
पुस्तकों पर आशंसायें व भूमिकाये भी लिखते हैं जिनमें श्री अजित कुमार वर्मा की व्यंग्य कथा ‘मैं गधा हूँ’ , अमिता सिंह की ‘अगीत अंतस के’,
बिनोद कुमार सिन्हा की ‘भगवद्गीता अगीत’ में , कुमार तरल की ‘बुद्धकथा महाकाव्य’,डा
ब्रजेश कुमार मिश्र की ‘अनुभूतियाँ’ तथा रामप्रकाश प्रकाश का महाकाव्य –‘मत्स्यावतार’
प्रमुख हैं |
अब तक आप ८० छोटी बड़ी कहानियां, २०० के आसपास
आलेख एवं १५ प्रकाशित कृतियों के अतिरिक्त
कई अप्रकाशित कृतियाँ आपकी उपलब्धि के अंग
हैं | आपको तमाम साहित्यिक मंचों से सम्मान व पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं|
आपकी साहित्यिक यात्रा इसी प्रकार गतिमान रहे , इस कामना के साथ आपके अभिनंदन
ग्रन्थ के प्रकाशन पर मंगल कामनाएं प्रस्तुत हैं |
सी-३०८७,
राजाजी पुरम
पार्थो सेन
लखनऊ-१७
महामंत्री अखिल भारतीय अगीत परिषद् , लखनऊ
मो.
९३३५७३१३६७
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३.श्रीमती विजय मौर्या----
---क्रमश कवि मित्र ---
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