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रविवार, 17 मई 2020

डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश ---पंचम पुष्प---आलेख-२....विलक्षण प्रतिभा के धनी -डा श्याम गुप्त .....मंजू सक्सेना....

                                           कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश ---पंचम पुष्प---आलेख-२ ---

                                                 कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित

डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश का लोकार्पण २२-०२-२०२० को हुआ |---तुरंत लौकडाउन के कारण कुछ विज्ञ लोगों तक नहीं पहुँच पा रही है अतः --यहाँ इसे क्रमिक पोस्टों में प्रस्तुत किया जाएगा | प्रस्तुत है - -पंचम पुष्प --आलेख-२.---विलक्षण प्रतिभा के धनी -डा श्याम गुप्त .....मंजू सक्सेना...

                                         

                        

  विलक्षण प्रतिभा के धनी -डा श्याम गुप्त .....मंजू सक्सेना...


           डा. श्याम गुप्त ...ये नाम है एक ऐसे बहुआयामी और सशक्त व्यक्तित्व का जो पेशे से शल्य क्रिया के वरिष्ठ चिकित्सक होते हुए भी शनै: शनै:हिन्दी साहित्य का अमिट हिस्सा बन गए हैं| हालांकि पूत के पाँव पालने में ही दिखने लगे थे अर्थात विद्यार्थी जीवन से ही इन्होने लेखन आरम्भ कर दिया था , पर उत्तर रेलवे से वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक पद से अवकाश प्राप्त करने के उपरान्त हिन्दी साहित्य जगत में डा. साहब ने अपने ऐसे पांव फैलाये की आज इनके नाम और काम से कोइ भी हिन्दी साहित्य प्रेमी अछूता नहीं रहा है |

         डा. श्याम गुप्त की साहित्यिक प्रतिभा तो विलक्षण है ही इनके मन मानस में ज्ञान का भण्डार भी अद्वितीय है | वेदान्त से लेकर पौराणिक ग्रंथों तक का बहुत अच्छा अध्ययन है इनका , और इसी ज्ञान के कारण इनकी लेखनी पर पकड़ भी बहुत मज़बूत है |

            साहित्य के हर क्षेत्र, हर विषय, हर विधा पर इनकी लेखनी चली है और खूब चली है | यहाँ तक कि हिन्दी और अंग्रेज़ी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं पर भी इनका कला कौशल देखने को मिलता है | इनके सृजन की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि हर बार इनकी सृजित कृतियाँ एक विशिष्टता व अनूठापन लिए होती हैं| उनके विषय लौकिक होते हुए भी कहीं न कहीं पारलौकिकता को अपने भीतर समाहित कर लेते है| पर मूलतः वो प्रेम के सौदागर हैं और ये प्रेम उनके सृजन में दर्शन से आरम्भ होकर अध्यात्म तक की ऊंचाई अनजाने में ही छू लेता है |
           हिन्दी भाषा में खड़ीबोली  में गद्य पद्य छंदोबद्ध  काव्य, अगीत, नवगीत , गीत, ग़ज़ल, लघुकथा ,कहानी, आलेख, निबंध, समीक्षाएं,उपन्यास, नाटिकाएं आदि सभी पर सामान रूप से डा. साहब की लेखनी अनवरत चल रही है | आजकल इंटरनेट पर भी हिन्दी के प्रचार प्रसार में इनका योगदान अग्रणीय है | साहित्यिक क्षेत्र में वे एक सफल प्रयोगधर्मी साहित्यकार हैं जिन्होंने कई नवीन छंदों की शुरूआत की है  जैसे पंचक सवैया, श्याम सवैया , श्याम घनाक्षरी, लयबद्ध अगीत, षटपदी अगीत, त्रिपदा अगीत, नव अगीत आदि | डा गुप्त का मानना है की हर सृजन कोइ न कोइ उद्देश्यपरक होना चाहिए और सही मायनों में साहित्य की सार्थकता भी तब ही है | इस लिहाज़ से डा श्याम गुप्त अपनी हर कृति में सोलह आने खरे उतरे हैं|

           सूरत और सीरत से बेहद सौम्य व्यक्तित्व के स्वामी डा.श्याम गुप्त ने ब्रह्माण्ड की सूक्ष्मता से लेकर स्त्री विमर्श और आधुनिक शास्त्र तक के रहस्यों की विवेचना बड़ी सफलता पूर्वक की है | उनकी अब तक की प्रकाशित पंद्रह कृतियाँ –काव्यदूत.  काव्य निर्झरिणी, काव्य मुक्तामृत, सृष्टि महाकाव्य, प्रेमकाव्य महाकाव्य, शूर्पणखा खंड काव्य, इन्द्र्धनुष उपन्यास, अगीत साहित्य दर्पण, ब्रज बांसुरी, कुछ शायरी की बात होजाए ,अगीत त्रयी ,तुम तुम और तुम, काव्य कंकरियां-ईबुक, ईशोपनिषद का काव्य भावानुवाद और पीर ज़माने की ग़ज़ल संग्रह .. उनकी अनवरत साहित्यिक यात्रा का प्रमाण हैं |

           एक सच्चे साहित्यकार का ह्रदय कितना भावुक होता है ये डा गुप्त के निजी जीवन की झलक से ही दृष्टिगोचर है | इनकी पत्नी सही मायनों में इनकी जीवन यात्रा में इनकी सहचरी हैं | साहित्यिक डगर पर भी पति-पत्नी का बहुत अच्छा तारतम्य है | डा. साहब की लेखनी व  सुषमा जी का स्वर और लेखनी दोनों | ब्रजभाषा में लिखी ‘ब्रज बांसुरी’ पति पत्नी दोनों के सहयोग का फल है जो बेहद ही मधुर और रसीले काव्य के रूप में उभरा है |
      डा श्याम गुप्त को राजभाषा विभाग उत्तरप्रदेश द्वारा राजभाषा सम्मान के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों एवं संस्थाओं द्वारा असंख्यक सम्मानों से सम्मानित किया जाता रहा है | हमारे लिए ये गौरव की बात है कि इतना प्रतिभाशाली व्यक्ति हमारे ही राज्य उत्तरप्रदेश की उपज है |
      मैं इतनी अभूतपूर्व साहित्यिक प्रतिभा को नमन करते हुए इनके और उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ|

  ई-१९४४,, राजाजीपुरम, लखनऊ                                                    मंजू  सक्सेना

                                                
    मो.९३३५४४४३३२                                                         एमए( अंग्रेज़ी ), एल एल बी
                                                                               सह सम्पादक –सफरनामा ( पाक्षिक )

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