कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित
डा श्याम गुप्त के अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश का लोकार्पण २२-०२-२०२० को हुआ |---तुरंत लौकडाउन के कारण कुछ विज्ञ लोगों तक नहीं पहुँच पा रही है अतः --यहाँ इसे क्रमिक पोस्टों में प्रस्तुत किया जाएगा | प्रस्तुत है --
पुष्प- २- --c मित्रों, साथियों व पारिवार के उदगार-- रमेश चन्द्र ..डा बी के मिश्र ---
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श्री रमेश चन्द्र गुप्ता
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विश्वसनीयता संवेदनशीलता उत्कृष्टता
विद्या सागर प्रतिभा विकास केंद्र
अध्यक्ष
इं. रमेश चन्द गुप्ता
मुख्य-अभियंता ( सेवानिवृत्त)
उत्तरप्रदेश सरकार
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शुभकामनाएं व सन्देश
मेरा संपर्क डा. श्याम बाबू गुप्ता जी से जब हुआ जब मेरी ज्येष्ठ बहन का विवाह डॉ.साहब से सुनिश्चित हुआ | पाणिग्रहण का दिवस वही दिन २५ जून१९७५ ई. था जब भारत में इमरजेंसी लगाई गयी | लगता है डॉ.श्याम जी ने राष्ट्र के गणतंत्र / स्वतन्त्रता हनन को गंभीरता से लिया | उनका कर्तव्यबोध जो जीवन्तता से भरपूर है व जीवन के करीब भी है, प्रभावी रूप से भावनात्मक होगया | चिकित्सक होने के बावजूद उन्होंने जिन्दगी को भरपूर अपने में ही जिया है जिस कारण लघु छोटी छोटी कविताओं में भी जिन्दगीके धार्मिक,एवं सांस्कृतिक फलसफे हैं| डॉ.साहब द्वारा सृजित रचनाएँ
काव्य कविताओं की पुस्तकें दर असल छपे हुए पृष्ठों में संरक्षित कर दिए गए उनके भावनात्मक शब्द ही तो हैं जिनके माध्यम से वे हम सभी के दिलो-दिमाग तक तक पहुंचे हैं |इनकी कतिपय रचनाओं का रसास्वादन करने का सौभाग्य मुझे मिला है | मुझ तकनीकी इंसान को इनकी कविताओं में गहराई व भावनात्मक,आध्यात्मिक सामाजिक जुड़ाव लगा | डॉ.श्याम जी समस्त सामाजिक कार्यकलापों में रूचि व कर्तव्यबोध से भाग लेते हुए अपने कवि रूप को भी तरासने में लगे हुए हैं, यह आनंद व प्रसन्नता की बात है | अतः वर्तमान परिस्थितियों में यह भरपूरनिष्कर्ष निकाला जा सकता है कि डॉ. साहब सही मायनों में शिक्षित हैं क्योंकि जो चीज सोचने की योग्यता को सुधारती है वही शिक्षा है | शिक्षा जीवन की स्थितियों का सामना करने एवं महान लक्ष्य व कर्म निर्धारण की योग्यता है |
इंसान में स्वयं अपना उत्थान करने की क्षमता ही नहीं बल्कि मानवता की समग्रचेतना बदलने की भी शक्ति भी होती है | आइन्स्टीन ने पूरा जीवन लगाकर कुछ सिद्धांत विश्व को दिए और विश्व की काया ही पलट गयी |
टामस अल्वा, एडीसन ने विश्व की जीवन शैली ही बदल डाली | जाकिर हुसैन ने तबले को नया मुकाम दिया, त्यागराज ने संगीत को पुनः परिभाषित किया | सुकरात व अरस्तू ने दुनियाकी सोच ही बदल डाली | महात्मा गांधी
व नेल्सन मंडेला ने एक नयी संस्कृति को जन्म दिया | मिल्टन व टेगोर ने काल की परिभाषा ही बदल डाली |
इसी भावना के साथ मैं डा. श्याम जी से अपेक्षा व कामना करता हूँ कि वे अपने साहित्यिक अवदान से सामाजिक जीवन की चेतना, राष्ट्रहित व भारतीयता के प्रवाह को निरंतर बनाए रखेंगे | उनके अभिनंदन ग्रन्थ ‘अमृत कलश’ के प्रकाशन पर उन्हें एवं प्रकाशक साहित्यिक संस्थाओं को शुभकामनाएं व बधाई प्रेषित हैं |
K C १६७, कवि नगर शुभेच्छु
गाज़ियाबाद रमेशचन्द्र
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डा ब्रजेश मिश्र
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